Manish Sisodiya: पत्रकारिता से डिप्टी सीएम तक सफर, जानिए कौन हैं मनीष सिसोदिया, जिसके बिना अधूरी केजरीवाल की सरकार

Manish Sisodiya: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर एकबार फिर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के बीच ठन गई है। आम आदमी पार्टी ने सोमवार को सीबीआई मुख्यालय और बीजेपी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

Update:2023-02-27 09:57 IST

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया (फोटो: सोशल मीडिया)

Manish Sisodiya: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर एकबार फिर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच ठन गई है। आम आदमी पार्टी ने सोमवार को सीबीआई मुख्यालय और बीजेपी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। सिसोदिया की गिरफ्तारी को सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। वह न केवल पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते हैं बल्कि दिल्ली की पूरी सरकार का कामकाज भी एक तरह से वो ही देखते हैं।

दिल्ली जैसे छोटे और अर्ध राज्य में डिप्टी सीएम जैसे पोस्ट की कोई खास जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में उन्हें इस पद पर बैठाया। इसलिए ताकि सिसोदिया दिल्ली सरकार के रेगुलर कामकाज पर बारीकि से नजर रखें और वो राष्ट्रीय राजनीति में अपनी संभावनाओं को मजबूत करें। मनीष सिसोदिया इस काम को बखूबी अंजाम भी दे रहे थे। तो आइए एक नजर अरविंद केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद सहयोगी मनीष सिसोदिया के अब तक के सफर पर डालते हैं। 

पत्रकारिता से शुरू किया करियर

मनीष सिसोदिया का जन्म हापुड़ जिले के फगौटा गांव में 5 जनवरी 1972 को हुआ था। उनके पिता एक शिक्षक थे। सिसोदिया की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया और इस पेशे में उतर गए। उन्होंने साल 1996 में ऑल इंडिया रेडियो के लिए जीरो ऑवर जैसे कार्यक्रमों की मेजबानी की। इसके बाद 1997 से लेकर 2005 तक एक प्रतिष्ठित निजी न्यूज चैनल (जी न्यूज) के साथ काम किया। उनके द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री को पुरस्कार भी मिल चुका है। 

समाजसेवा के कार्य में भी जुटे रहे 

मनीष सिसोदिया शुरू से ही समाजसेवा में काफी दिलचस्पी रखते थे। उन्होंने पत्रकारिता करने के दौरान गैर-सरकारी संगठनों के जरिए सामाजिक कार्य भी करते रहे। साल 2006 में सिसोदिया ने पब्लिक कॉज रिसर्च नामक फाउंडेशन की स्थापना की। इस फाउंडेशन के जरिए वह पूरी तरह से समाजसेवा के कार्य़ में जुट गए। कुछ समय बाद जब दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन शुरू हुआ, तो उन्होंने उसमें हिस्सा लिया और आंदोलन के एक बड़े चेहरे के तौर पर उभरे। 

अरविंद केजरीवाल से पहली मुलाकात 

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की जोड़ी मोदी-शाह की जोड़ी से कम नहीं है। दोनों एक दूसरे को दो दशक से ज्यादा समय से जानते हैं। दोनों की पहली मुलाकात 1990 के दशक के आखिरी दिनों में हुई थी। उस दौरान केजरीवाल बतौर भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी आयकर विभाग में तैनात थे, वहीं सिसोदिया बतौर पत्रकार काम कर रहे थे। अरविंद केजरीवाल बताते हैं कि आयकर विभाग में काम करने के दौरान उन्होंने देखा कि भ्रष्टाचार कितना फैला है, इससे वो काफी दुखी थी। लेकिन एक सरकारी अधिकारी के तौर पर इसे रोकने के लिए वह कोई एनजीओ नहीं बना सकते थे। 

 सिसोदिया के घर पहुंचे केजरीवाल 

ऐसे में उन्होंने अपने दोस्तों को आगे करके एक एनजीओ बनाने की ठानी, जो लोगों की मदद करेगा। उनका काम बिना किसी रिश्वत के पूरी करेगा। केजरीवाल बताते हैं कि हमने इसके लिए एक वेबसाइट बनाई और ऐलान करवाया कि जो-जो लोग यहां वालंटियर के रूप में अपनी सेवा देना चाहते हैं, अपना नाम पता भेजें। वालंटियर के लिए जो सबसे पहला नाम आय़ा, वो था मनीष सिसोदिया का। इसके बाद केजरीवाल सिसोदिया के घर गए, जो कि एक कमरे का था और उसमें एक छोटा सा किचन था। दोनों ने घर की छत पर घंटों इस पर बात की। सिसोदिया की सादगी और ईमानदारी से केजरीवाल काफी प्रभावित हुए और तभी से दोनों के बीच गहरी दोस्ती कायम है। 

राजनीति में केजरीवाल के बने हनुमान 

अन्ना आंदोलन के बाद जब अरविंद केजरीवाल समेत अन्य लोगों ने अलग राजनीतिक दल बनाने का निर्णय लिया तो मनीष सिसोदिया ने इसमें अहम भूमिका निभाई। आम आदमी पार्टी बनने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और कुमार विश्वास जैसे जाने-माने चेहरों ने अरविंद केजरीवाल की मनमानी का तीखा विरोध किया लेकिन सिसोदिया चट्टान की तरह उनके पीछे खड़े रहे। आप में आज मनीष सिसोदिया को केजरीवाल के हनुमान के तौर पर देखा जाता है। उनके पास दिल्ली सरकार में 18 से अधिक विभाग हैं, जिनमें स्वास्थ्य, वित्त, शिक्षा, शहरी विकास, जल जैसे अहम विभाग शामिल हैं। 

लगातार जीत रहे चुनाव 

2013 में चुनावी राजनीति में पर्दापण करने वाले मनीष सिसोदिया ने दिल्ली की पटपड़गंज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने अपने पहले चुनाव में बीजेपी के नकुल भारद्वाद को 11 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया। इसके बाद वो अब तक तीन विधानसभा चुनाव वहां से जीत चुके हैं। उन्होंने 2015 और फिर 2020 में जीत हासिल की। पटपड़गंज दिल्ली में आम आदमी पार्टी का गढ़ बन चुकी है। 

शिक्षा के क्षेत्र में किया लाजवाब काम

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की काफी उपलब्धियां भी रही हैं। बतौर शिक्षा मंत्री दिल्ली के सरकारी स्कूलों का जिस प्रकार उन्होंने कायाकल्प किया, उसकी चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई। तमिलनाडु जैसे देश के अन्य राज्यों के सीएम और एजुकेशन मिनिस्टर दिल्ली का शिक्षा मॉडल देखने आ चुके हैं। सिसोदिया को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री का पुरस्कार भी मिल चुका है। 

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