Delhi Assembly Election: जंगपुरा में बिछी दिलचस्प मुकाबले की बिसात, भाजपा और कांग्रेस ने सिसोदिया को मजबूती से घेरा
Delhi Assembly Election 2025: आप नेता मनीष सिसोदिया अभी तक पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं मगर इस बार उन्हें जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से उतारा गया है।;
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस बार जंगपुरा सीट पर भी काफी हॉट मुकाबला होने वाला है। इस विधानसभा क्षेत्र में तीनों प्रमुख सियासी दलों ने मजबूत उम्मीदवार उतार कर मुकाबले को काफी दिलचस्प बना दिया है। आम आदमी पार्टी ने इस बार अपने बड़े चेहरे और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीट बदलकर उन्हें जंगपुरा से टिकट दिया है। सिसोदिया अभी तक पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। सिसोदिया की सीट बदलने के पीछे बड़ा कारण माना जा रहा है।
भाजपा को अभी तक इस सीट पर कभी जीत नहीं हासिल हो चुकी है मगर पार्टी ने इस बार तेजतर्रार उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह को उतार कर सिसोदिया को घेरने का प्रयास किया है। मारवाह इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस ने जंगपुरा में दिग्गज नेता ताजदार बाबर के बेटे फरहाद सूरी को उतार कर सिसोदिया को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। इस तरह जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में दिलचस्प मुकाबले की बिसात बिछ गई है।
पटपड़गंज छोड़ने को क्यों मजबूर हुए सिसोदिया
आप नेता मनीष सिसोदिया अभी तक पटपड़गंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं मगर इस बार उन्हें जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से उतारा गया है। दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में सिसोदिया भाजपा के रविंद्र नेगी के खिलाफ किसी तरह तीन हजार वोटों से जीत सके थे। इस बार भी भाजपा की चुनावी तैयारी को देखते हुए सिसोदिया इस सीट पर फंस सकते थे।
दिल्ली के शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया को काफी दिनों तक जेल में रहना पड़ा और इस दौरान वे अपने क्षेत्र से पूरी तरह कटे रहे। उनके क्षेत्र में विकास का काम भी प्रभावित हुआ। इसके साथ ही आप सिसोदिया को एंटी इनकंबेंसी से भी बचाना चाहती थी। पार्टी की ओर से कराए गए आंतरिक सर्वे में भी सिसोदिया को लेकर अच्छा फीडबैक नहीं मिला था।
जंगपुरा से आप ने क्यों दिया टिकट
पार्टी ने अपने बड़े चेहरे को चुनावी हार की संभावना से बचाने के लिए जंगपुरा से लड़ाने का फैसला किया। जंगपुरा विधानसभा सीट को सिसोदिया के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रवीण कुमार ने 2015 और 2020 में इस सीट से जीत हासिल की थी। 2015 में वे करीब 16 हजार और 2020 में 23 हजार से अधिक वोटों से विजयी रहे थे। ऐसे में पार्टी को सिसोदिया के लिए जंगपुरा में अच्छी चुनावी संभावनाएं दिख रही हैं।
भाजपा को अभी तक यहां मिलती रही निराशा
दूसरी ओर जंगपुरा विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा पूरी ताकत लगाने की तैयारी में जुटी हुई है। दिल्ली की इस सीट पर भाजपा को आज तक जीत नहीं हासिल हो सकी है। 1998 से 2008 तक लगातार इस सीट पर कांग्रेस को जीत हासिल होती रही। 2013 से अभी तक की सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा बना हुआ है।
आम आदमी पार्टी को लगातार मिल रही इस जीत के बाद ही पार्टी नेतृत्व की ओर से यहां पर सिसोदिया को लड़ाने का फैसला किया गया क्योंकि पटपड़गंज में उनके लिए खतरा महसूस हो रहा था। अब भाजपा ने तरविंदर सिंह मारवाह को इस सीट पर लड़ा कर लगातार मिल रही हार को जीत में बदलने की रणनीति तैयार की है।
भाजपा ने मजबूत पकड़ वाले मारवाह को उतारा
जंगपुरा विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और उन्होंने जंगपुरा विधानसभा सीट से तीन बार जीत हासिल की है। उन्होंने 1998, 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस में रहने के दौरान उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का करीबी माना जाता था।
बाद में उनकी कांग्रेस के साथ पटरी नहीं बैठी और उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। सिख समुदाय के बीच मारवाह की अच्छी पकड़ मानी जाती है और भाजपा ने उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए उन्हें सिसोदिया के खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। ऐसे में पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया के लिए जंगपुरा में सियासी मुश्किलें पैदा हो गई हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी फरहाद ने बढ़ाई सिसोदिया की मुसीबत
कांग्रेस ने इस सीट से फरहाद सूरी को चुनाव मैदान में उतारा है जो दिल्ली के पूर्व मेयर रह चुके हैं। उन्हें अपने क्षेत्र में विकास के कार्य करने के लिए जाना जाता रहा है। सूरी का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी टक्कर मनीष सिसोदिया से नहीं बल्कि भाजपा से होगी।
उन्होंने कहा कि जंगपुरा में सिसोदिया तीसरे नंबर पर रहेंगे। फरहाद सूरी दिल्ली कांग्रेस की दिग्गज नेता ताजदार बाबर के बेटे हैं। ताजदार बाबर दो बार विधायक रह चुकी हैं। सूरी पार्षद का चुनाव जीतते रहे हैं। अब कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतरकर आप नेता मनीष सिसोदिया के लिए मुश्किलें पैदा कर दी।
वोटों के बंटवारे का बड़ा खतरा
फरहाद सूरी के चुनाव मैदान में उतरने से मुस्लिम मतों के बंटवारे का खतरा भी पैदा हो गया है जो सिसोदिया के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। सिसोदिया की ओर से इलाके में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा काम करने का वादा किया गया है। तीनों प्रत्याशियों ने इलाके में पूरी ताकत झोंक रखी है। सियासी जानकारों का मानना है कि तीनों दलों की ओर से मजबूत उम्मीदवार उतारे जाने के कारण जंगपुरा में दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है।