इजराइल को नापसंद करने वाला भारत आखिर कैसे बन बैठा पक्का दोस्त, पढ़ें ये स्टोरी

इजरायल और स्वतंत्र भारत का उदय एक ही वर्ष 1947 में हुआ था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इजरायल को स्वतंत्रता 1948 में मिली। दोनों देशों के बीच शुरू में रिश्ते अच्छे नहीं थे।

Update: 2021-01-30 14:12 GMT
1962 के चीन युद्ध के दौरान इजरायल ने पुरानी घटनाओं को एक सिरे से भुलाकर भारत की हथियारों और दूसरे युद्ध साधनों से मदद की थी।

नई दिल्ली: दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास के पास शुक्रवार शाम को धमाका हुआ था। धमाके को लेकर भारत और इजरायल ने आपस में बातचीत की है।

यह धमाका उस समय हुआ जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 29वीं सालगिरह मनाई जा रही थी। हालांकि धमाके के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमें भारत पर पूरा भरोसा है।

यह धमाका दिल्ली के सबसे पॉश इलाके में हुआ। वहीं भारत में इजरायल के राजदूत डॉ रॉन मलका ने कहा कि इस धमाके से भारत और इजरायल के आपसी सहयोग पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि कभी इजराइल को नापसंद करने वाला भारत आखिर कैसे उसका पक्का दोस्त बन बैठा। दोनों के बीच 29साल से दोस्ती चली आ रही है।

आज भरोसा बढ़ने के साथ दोस्ती इतनी गहरी हो गई है कि इस तरह की घटनाओं का उनके संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

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इजराइल को नापसंद करने वाला भारत आखिर कैसे बन बैठा पक्का दोस्त, पढ़ें ये स्टोरी(फोटो:सोशल मीडिया)

शुरुआत में अच्छे नहीं थे दोनों देशों के सम्बन्ध

बहुत कम लोग ये बात जानते होंगे कि इजरायल और स्वतंत्र भारत का उदय एक ही वर्ष 1947 में हुआ था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इजरायल को स्वतंत्रता 1948 में मिली। दोनों देशों के बीच शुरू में रिश्ते अच्छे नहीं थे।

1947 में ही भारत ने इजरायल को एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने के विरोध में वोट किया था। इसी तरह से 1949 में एक बार फिर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल को सदस्य देश बनाने के विरोध में वोट किया था।

इजरायल के उदय के साथ शुरुआती 2 साल में भारत का पक्ष हमेशा इजरायल के खिलाफ ही रहा। दोनों देश एक दूसरे को कुछ वर्षों तक नापंसद करते रहे।

इजराइल को नापसंद करने वाला भारत आखिर कैसे बन बैठा पक्का दोस्त, पढ़ें ये स्टोरी(फोटो: सोशल मीडिया)

कब और कैसे हुई दोस्ती की शुरूआत

भारत और इजरायल ने 15 साल बाद एक-दूसरे की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। दोनों देशों के बीच सहयोग के शुरुआती संकेत 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान देखने को मिले थे, जब इजरायल ने भारत को सैन्य सहायता प्रदान की थी। इजरायल ने पाकिस्तान के साथ दो युद्धों के दौरान भी भारत की सहायता की।

1950 में पहली बार भारत ने बतौर स्वतंत्र राष्ट्र इजरायल को मान्यता दी थी। इसके साथ ही भारत ने इजरायल का काउंसल को मुंबई में एक स्थानीय यहूदी कॉलोनी में 1951 में नियुक्त किया था।

इसे 1953 में अपग्रेड कर काउंसलेट का दर्जा दिया। 1956 में इजरायल के विदेश मंत्री मोशे शेरेट ने भारत का दौरा स्वेज नहर को लेकर जारी विवाद के बीच किया था। स्वेज नहर का विवाद मिस्र और इजरायल के बीच था।

चीन युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच गुप्त भाईचारा

1962 के चीन युद्ध के दौरान इजरायल ने पुरानी घटनाओं को एक सिरे से भुलाकर भारत की हथियारों और दूसरे युद्ध साधनों से मदद की थी। उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने इजरायली समकक्ष से पत्र लिखकर मदद मांगी थी।

इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेन गुरियन ने हथियारों से भरे जहाज को भारत रवाना कर पत्र का उत्तर दिया। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर दोनों देशों ने एक-दूसरे से दूरी ही बरती क्योंकि तेल अवीव की निकटता वॉशिंगटन से हमेशा रही।

दूसरी तरफ भारत गुट निरपेक्ष राष्ट्र था और 1961 में बनाए गुट निरपेक्ष राष्ट्रों का संगठन उसूलन सोवियत रूस की तरफ झुका था। हालांकि, भारत के सभी प्रमुख युद्धों में इजरायल ने भरपूर मदद की। 1971 में पाकिस्तान युद्ध और 1999 में करगिल युद्ध में भी इजरायल ने भारत को अत्याधुनिक हथियारों से मदद की।

इतना ही नहीं इंदिरा गांधी ने जब भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का गठन किया था तब भी इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने काफी मदद की।

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इजराइल को नापसंद करने वाला भारत आखिर कैसे बन बैठा पक्का दोस्त, पढ़ें ये स्टोरी(फोटो:सोशल मीडिया)

90 के दशक में भारत ने इजरायल के साथ द्विपक्षीय संबंध किए स्थापित

1992 में पी वी नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री थे उस वक्त भारत ने इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए। हालांकि, इस फैसले के पीछे बहुत से वैश्विक कारण भी थे।

सोवियत रूस के विघटन और इजरायल और फलस्तीन के बीच शांति प्रक्रिया के शुरू होना दो प्रमुख कारण थे। इजरायल के साथ भारत के बदलते संबंधों की एक वजह जॉर्डन, सीरिया और लेबनान जैसे अरब मुल्कों ने भी भारत को अपनी रूस और अरब की ओर झुकी विदेश नीति पर सोचने के लिए मजबूर किया।

पीएलओ (फलस्तीन की आजादी के लिए संघर्ष करनेवाली संस्था) के प्रमुख यासिर अराफात के व्यक्तिगत तौर पर इंदिरा गांधी से अच्छे संबंध थे और कहा जाता है कि मुस्लिम वोटों के लिए वह इंदिरा के साथ रैली करने को भी तत्पर रहते थे।

पीएम मोदी के कार्यकाल में और गहरी हुई भारत और इजरायल दोस्ती

इजरायल और भारत के बीच बदले संबंधों की असली कहानी सार्वजनिक तौर पर 2015 से नजर आने लगी। संयुक्त राष्ट्र में इजरायल में मानवाधिकार अधिकारों के हनन संबंधी वोट प्रस्ताव के वक्त भारत गैर-मौजूद रहा।

इसके बाद ही किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा इजरायल में 2017 में हुआ और पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 दिनों का इजरायल दौरा किया। 2018 में बेंजामिन नेतन्याहू ने 6 दिनों का भारत का विस्तृत दौरा किया।

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता संबंधी प्रस्ताव के विरोध में वोट किया।

इजराइल को नापसंद करने वाला भारत आखिर कैसे बन बैठा पक्का दोस्त, पढ़ें ये स्टोरी(फोटो: सोशल मीडिया)

अक्सर पूछे जाते हैं ये प्रश्न, इनके जवाब जानना हैं बेहद जरूरी

कहां है इजरायली दूतावास?

भारत में इजरायल का दूतावास राजधानी नई दिल्ली के डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग पर स्थित है। इसका पूरा पता 3, Dr APJ Abdul Kalam Rd, Aurangzeb Road, New Delhi, Delhi 110011 है।

भारत में इजरायल का राजदूत कौन है?

डॉ. रॉन माल्का भारत में इजरायल के एम्बेस्डर हैं। वह भारत के साथ-साथ श्रीलंका में भी इजरायल के दूत हैं। इससे पहले डेनियल कॉरमॉन भारत में इजरायल के राजदूत थे। इजरायली दूतावास में दूसरे नंबर की अधिकारी मिसेज रॉनी येदिदिया क्लेन हैं, जिन्हें डेप्युटी चीफ ऑफ मिशन कहा जाता है।

कितने इजरायली राजनयिक दूतावास में रहते हैं?

इजरायली दूतावास की ऑफिशल वेबसाइट के मुताबिक, दूतावास में राजदूत समेत 11 इजरायली अधिकारी तैनात हैं। इनमें अलग-अलग विभागों मसलन, कृषि सलाहकार, सुरक्षा सलाहकार, राजनीतिक सलाहकार, प्रवक्ता और पब्लिक डिप्लोमेसी के अधिकारी शामिल हैं।

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