Delhi Election 2025:अपने ही विधायकों ने पैदा किया AAP के लिए संकट, टिकट कटने के बाद कई सीटों पर कर दिया बड़ा खेल
Delhi Election 2025: अब अधिकांश एग्जिट पोल के नतीजों से भी दिख रहा है कि आठ फरवरी को घोषित किए जाने वाले चुनाव नतीजे में पार्टी को करारा झटका लग सकता है।;
Delhi Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए उन सीटों पर ज्यादा चुनौती मानी जा रही है,जहां पार्टी ने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया था। आप ने इस बार बीस से अधिक विधायकों के टिकट काट दिए थे। बुधवार को हुई वोटिंग के बाद माना जा रहा है कि इन सीटों पर आप विधायकों की नाराजगी ने भी पार्टी प्रत्याशियों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर दिया है।
भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की चुनौतियों के साथ ही आप विधायकों ने भी पार्टी की फिजां खराब करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इन विधायकों की ओर से पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं पर लगाए गए आरोपों से पार्टी की साख पर भी बड़ा असर पड़ा है। अब अधिकांश एग्जिट पोल के नतीजों से भी दिख रहा है कि आठ फरवरी को घोषित किए जाने वाले चुनाव नतीजे में पार्टी को करारा झटका लग सकता है।
विधायकों के आरोपों से खराब हुई साख
आम आदमी पार्टी के नेतृत्व ने इस बार सत्ता विरोधी रुझान और विभिन्न क्षेत्रों में विधायकों के खिलाफ पैदा हुई नाराजगी से बचने के लिए टिकट बंटवारे में काफी सतर्कता बरती थी। पार्टी ने 20 से अधिक विधायकों के टिकट काटते हुए लोगों की नाराजगी से बचने का प्रयास किया। टिकट न मिलने के बाद पार्टी के आठ विधायकों ने वोटिंग से ऐन पहले आप छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
पार्टी से इस्तीफा देने के साथ ही इन विधायकों ने पार्टी नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने और पार्टी के मूल सिद्धांतों से हट जाने का बड़ा आरोप भी लगाया था। आप मुखिया अरविंद केजरीवाल शुरुआत से ही ईमानदार राजनीति करने की वकालत करते रहे हैं मगर पार्टी विधायकों के आरोपों ने उनके इस बयान की कलई खोल दी थी।
बागी विधायकों के रुख से भाजपा को फायदा
जानकार सूत्रों का कहना है कि टिकट कटने के बाद से ही आप के कई विधायक अपनी ही पार्टी को हराने की मुहिम में जुटे हुए थे। कुछ विधायकों ने खुले तौर पर और कुछ विधायकों ने भीतरी तौर पर आप प्रत्याशियों की नैया डूबोने के लिए काफी मेहनत की। उनका मकसद पार्टी नेतृत्व को यह संदेश देना था कि उनका टिकट काटकर पार्टी ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली है।
इन विधायकों के समर्थकों ने भी पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में मुख्य टक्कर भाजपा और आप के बीच ही दिखी है जबकि कांग्रेस काफी पिछड़ गई है। ऐसे में आप विधायकों की ओर से किए गए इस खेल का सबसे बड़ा फायदा भाजपा को ही मिलने की संभावना जताई जा रही है।
चुनावी तैयारी के बावजूद नहीं मिला टिकट
तिमारपुर के विधायक दिलीप पांडेय और शाहदरा के विधायक व दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल की जगह आप ने इस बार दूसरे चेहरों को चुनावी अखाड़े में उतारा। हालांकि पार्टी ने इन विधायकों से पत्र जरूर जारी करवा दिए कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं जबकि सच्चाई यह है कि टिकट काटे जाने से पहले इन नेताओं ने चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रखी थी।
आप के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार से पूरी तरह दूरी बनाए रखी। तिमारपुर में आप की ओर से भाजपा से आए सुरेंद्र सिंह बिट्टू को चुनावी अखाड़े में उतारा गया था मगर पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके प्रचार में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। ऐसे में तिमारपुर विधानसभा क्षेत्र में भी आप को बड़ा झटका लगने की संभावना जताई जा रही है। इसी तरह शाहदरा में भी गोयल समर्थकों ने पार्टी प्रत्याशी जितेंद्र सिंह शंटी के प्रचार से पूरी तरह दूरी बनाए रखी।
इन विधायकों ने दिखाए बागी तेवर
दिल्ली विधानसभा की कई अन्य सीटों पर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला है। मुस्तफाबाद, आदर्श नगर, देवली, महरौली, कस्तूरबा नगर और पालम आदि विधानसभा क्षेत्रों में भी आप प्रत्याशियों को अपने ही विधायकों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा है। आदर्श नगर से पवन शर्मा, मुंडका से धर्मपाल लाकड़ा, जनकपुरी से राजेश ऋषि, बिजवासन से बीएस जून, पालम से भावना गौड़, त्रिलोकपुरी से रोहित मेहरौलिया, कस्तूरबा नगर से मदन लाल और महरौली से नरेश यादव आप की सदस्यता छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वोटिंग के दिन इन विधायकों और उनके समर्थकों ने भाजपा के लिए खुलकर काम किया जिससे आप को झटका लगने की संभावना मजबूत हो गई है।
निर्दलीय लड़कर पैदा कर दिया संकट
इन विधानसभा क्षेत्रों से मिली खबरों के मुताबिक इन सभी ने आप प्रत्याशियों के खिलाफ माहौल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। हरिनगर विधानसभा क्षेत्र का किस्सा तो और भी दिलचस्प है। यहां आप नेतृत्व ने पहले राजकुमारी ढिल्लों को टिकट देने का ऐलान किया मगर आखिरी समय में उनका टिकट काट दिया गया। इससे नाराज होकर ढिल्लों ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान आप नेतृत्व पर तीखे हमले किए और निर्दलीय चुनाव लड़कर आप प्रत्याशी की चुनावी संभावनाओं को कमजोर बना दिया।
अब दिल्ली में वोटिंग खत्म होने के बाद आए अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा की सरकार बनने की संभावना जताई गई है। हालांकि असली नतीजे की जानकारी तो आठ फरवरी को ही होगी मगर इतना तो तय है कि आप के कुछ नेताओं के बागी तेवर ने पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया है। वैसे आप नेताओं ने अधिकांश एग्जिट पोल में लगाए गए अनुमानों को खारिज कर दिया है।