नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय अगले साल से कागजी डिग्रियों और प्रमाण-पत्रों को इतिहास बनाने जा रहा है। मंत्रालय अगले साल से छात्रों को डिजिटल डिग्री देने जा रहा है। साथ ही इन डिग्रियों और सर्टिफिकेटों को डिजिटल लॉकर्स में सुरक्षित रखा जा सकेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कदम के बाद दसवीं, बारहवीं, ग्रेजुएशन, पीजी, पीएचडी या फिर डी लिट जैसी डिग्रियां, सभी के लिए डिजिटल डिग्री प्रदान की जाएगी।
युवाओं की जरूरतों के मद्देनजर लिया फैसला
इस बारे में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि युवाओं की आज की जरूरतों को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस नए कदम के लिए आईटी मंत्रालय के साथ तालमेल कर तकनीकी तैयारी जारी है।
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विश्वविद्यालयों से मिली थी शिकायत
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कई विश्वविद्यालयों से शिकायत आई थी कि उनके अभिलेखागारों में पुरानी डिग्रियां भरी पड़ी हैं। कई दशकों से उन्हें लेने कोई नहीं आया। विश्वविद्यालयों ने पूछा कि आखिर कब तक ऐसी डिग्रियों को संभालकर रखा जाए।
खत्म होंगी समस्याएं
दूसरी तरफ कई छात्रों की ओर से शिकायत मिली थी कि विश्वविद्यालयों के क्लर्क उनकी डिग्री देने के लिए कोई ना कोई बहाना बनाकर पैसे मांगते हैं।अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस नए सिस्टम से इन सारी समस्याओं को खत्म किया जा सकेगा।
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सीबीएसई को भी किया जा रहा शामिल
मंत्रालय की ओर से बताया गया कि पूरे देश के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का डाटाबेस बनाया गया है। इसमें सीबीएसई को भी शामिल किया जा रहा है। परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को दीक्षांत समारोह में डिजीटल डिग्री दी जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अन्य मकसद कागज का उपयोग कम कर पर्यावरण को लाभ पहुंचाना भी है।