चुनाव आयोग: कहीं दवाखाना तो कहीं परचून की दुकानों पर चल रहे राजनीतिक दल

Update: 2016-12-24 07:27 GMT

नई दिल्ली: देश भर में कई ऐसे राजनेतिक दल है, जिनका पता आज तक चुनाव आयोग नहीं लगा सका है। दिल्ली में 245 राजनीतिक दलों का रजिस्टेशन है। लेकिन इनमें से करीबन 67 दलों का पता चुनाव आयोग नहीं लगा पाया है। यूपी के मेरठ में जहां विकासवादी कम्युनिज्म पार्टी एक दवाखाने पर चलता है, तो वहीं बुलंदशहर में युवा जन जागृति मंच एक परचून की दुकान से चलाया जाता हैं। जिसके बाद अब चुनाव आयोग अगले 10 दिनों के अंदर अपनी एक और सूची तैयार करने जा रही है। जिसमे ऐसे दलों के नाम शामिल हैं जो संदिग्ध हैं।

कहीं कार्ययालय पर बरसो से ताला तो कहीं किसी का कोई पता नहीं

1-मेरठ में चुनाव आयोग को चार दलों के ठिकाने मिले हैं।

-मवाना में 18 साल पहले बनी विकासवादी कम्युनिज्म पार्टी के संस्थापक डॉ. वहाब अब पार्टी के दफ्तर में ही अपनी क्लीनिक चलाते हैं।

-उनके मुताबिक अब उनका राजनीती से दूर- दूर तक कोई नाता नहीं है।

2- जयदेवी नगर में स्थित गरीब जन समाज पार्टी का दफ्तर कुछ ऐसा ही है।

- पार्टी के अध्यक्ष बिशन स्वरूप तुरेहा के निधन के बाद अब पार्टी में न कोई अध्यक्ष है और न कोई सदस्य।

3- अब्दुलपुरा में किसान विकास पार्टी जिसका कोई पता नहीं चल सका।

4- खरखौदा के खड़खड़ी गांव में स्थित भारतीय कृषक सेवा समाज का कोई अता पता नहीं मिला।

-ऐसी ना जाने और भी कई पर्टीयां है, जिनका कोई पता नहीं है।

-चुनाव आयोग भी 245 में 67 पार्टियों का पता खोज नहीं सका।

-इनमें से 20 से भी कम पार्टियां हैं जिन्होंने अपनी आय के ब्योरे दिए हैं।

-जिसपर चुनाव आयोग को शक है, कि इनमें से कई पार्टियां काले धन को सफेद करने का काम कर रही है।

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