होशियार ! देश की राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाने आ गया 'बांड'

Update: 2018-01-02 13:35 GMT

नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि चुनावी बांड से राजनीतिक चंदे की वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने लोकसभा को बताया कि ये बांड केवल पंजीकृत राजनीतिक दल को ही दिए जा सकते हैं।

जेटली ने कहा, "पारदर्शिता का तत्व यह है कि जो दानदाता इन बांड को खरीदेंगे, उनके बैलेंस शीट से पता चल जाएगा कि उन्होंने इनकी खरीद की है। राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पास अपना रिटर्न दाखिला करेंगे और सामूहिक रूप से प्राप्त बांडों की जानकारी भी देंगे।"

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मंत्री ने कहा, "इसलिए, इससे दानदाताओं से एक नंबर का धन राजनीतिक दलों को प्राप्त होगा और पारदर्शिता आएगी।"

जेटली ने कहा कि "जब चंदे की रकम नकदी में दी जाती है तो धन के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। दानदाता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती, कहां ये खर्च किए गए, इसकी भी कोई जानकारी नहीं मिलती। इसलिए चुनावी बांड से वर्तमान प्रणाली में पारदर्शिता आएगी।"

सरकार ने इस साल के बजट में राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे को रोकने के लिए चुनावी बांड की घोषणा की थी।

जानिए खास तथ्य

केंद्र की बीजेपी सरकार ने एक और बहुप्रतीक्षित योजना को मूर्तरूप दे डाला है। वैसे तो सरकार ने इलेक्टोरल बांड स्कीम के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने की योजना का ऐलान पिछले बजट में ही किया था। ये बांड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कुछ ब्रांच में मिलेंगे जो एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये के मल्टीपल में आने की उम्मीद है। बांड खरीदी की 15 दिन तक ही मान्य होंगे।

सरकार ने राजनीति में ब्लैकमनी के प्रयोग को रोकने के लिए इस बांड के जरिए चंदा देने की योजना बनाई है।

बांड के लिए दानदाता को केवाईसी बैंक को देनी होगी। लेकिन दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाएगी।

सिर्फ उसी पार्टी को दान दिया जा सकता हैं, जिसे पिछले चुनावों में कुल वोटों का कम से कम 1 फीसदी वोट मिला हो।

वहीं राजनीति में पारदर्शिता के लिए काम कर रही कुछ संस्थाएं चाहती हैं कि दानदाता का नाम गुप्त न रखा जाए। उनका तर्क है कि यदि दानदाता का नाम गुप्त रहेगा तो सरकार उसे फायदा देने के लिए कुछ भी करेंगी।

 

 

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