GDP में गिरावट पर वित्त मंत्री जेटली बोले- दुनिया के स्लो डाउन का असर पड़ा

Update: 2017-06-01 07:36 GMT

नई दिल्ली: देश के विकास की रफ्तार में आई गिरावट के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दुनिया भर में जारी आर्थिक मंदी को जिम्मेदार ठहाराया है। बता दें, कि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर महज 6.1 फीसदी रही है।

जेटली ने गुरुवार (01 जून) को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'भारतीय अर्थव्यस्था पर दुनिया के स्लो डाउन का असर पड़ा है।' इस दौरान वित्त मंत्री ने सरकार के तीन साल के कामकाज का ब्यौरा दिया।

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चुनौती भरे रहे 3 साल

जेटली बोले, 'पिछले तीन 3 साल आर्थिक चुनौती भरे रहे। इस दौरान दो साल मानसून भी कमजोर रहा। हमें विरासत में खराब अर्थव्यवस्था मिली, जहां भ्रष्टाचार व्याप्त था। हालांकि पिछले तीन वर्षों को देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा बढ़ा है।'

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नोटबंदी एक बड़ा कदम था

अरुण जेटली ने कहा, 'इन तीन वर्षों में हमने सख्त निर्णय लिए। भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किए। नोटबंदी इसमें एक बड़ा कदम था। हमने विदेशी निवेश बढ़ाने का काम किया। देश की छवि बदलने से इसमें फायदा मिला।'

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गिनाए नोटबंदी के लाभ

अरुण जेटली ने कहा, कि केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2016 में उठाए गए नोटबंदी के कदम के तीन विशिष्ट लाभ रहे हैं। कहा,'नोटबंदी से तीन प्रमुख लाभ हुए हैं। पहला, डिजिटिलीकरण की तरफ रुझान बढ़ा है। करदाताओं की संख्या बढ़ी है। एक संदेश गया है कि अब नकदी में कारोबार करना आसान नहीं है।'

नोटबंदी को माना जा रहा गिरावट की वजह

बता दें कि देश के जीडीपी की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी थी। जबकि, पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत रही। इस वजह से भारत का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा भी छिन गया है। चौथी तिमाही में विकास दर का आंकड़ा इतना कम रहने की बड़ी वजह नोटबंदी को माना जा रहा है।

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