Kameshwar Chaupal Death: कामेश्वर चौपाल का दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन, राम मंदिर की रखी थी पहली ईंट
Kameshwar Chaupal Death: राम मंदिर के लिए पहली सभा करने वाले बीजेपी MLC कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।;
Kameshwar Chaupal Death: राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Choupal Death) का आज निधन हो गया है। कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Choupal Networth) ने 68 साल में दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। खबर है कि वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। 2024 में कामेश्वर चौपाल का इसी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। बता दें कि कामेश्वर चौपाल (kameshwar chaupal Ram Mandir) ने राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। ऐसे में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा भी दिया था। कामेश्वर चौपाल के निधन पर योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया है।
कैसा था उनका राजनीति करियर
बिहार में सुपौल जिले के रहने वाले थे कामेश्वर चौपाल। राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने के बाद बीजेपी उन्हें राजनीति में लेकर आई।- 1991 में उन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए।
- 1995 में उन्होंने बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ा, लेकिन उसमें भी वह सफल नहीं रहे।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें सुपौल से मैदान में उतारा, जहां वो तीसरे नंबर पर रहे।
- फरवरी 2020 में जब राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हुआ तो उसमें बिहार से कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया।
- उस समय चौपाल ने कहा था कि उन्हें पहले से पता था कि शिलान्यास के लिए एक दलित को चुना गया है, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये सौभाग्य उन्हें मिलेगा।
कहां तक की थी पढ़ाई
कामेश्वर चौपाल का जन्म 24 अप्रैल 1956 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था और यहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। स्कूल में उनकी मुलाकात RSS के एक कार्यकर्ता से हुई जो उनके शिक्षक थे। उन्हीं शिक्षक की मदद से कामेश्वर चौपाल ने कॉलेज में एडमिशन लिया। कामेश्वर चौपाल ने जेएन कॉलेज मधुबनी से स्नातक की डिग्री हासिल की थी। 1985 में उन्होंने मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से MA की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पूरी तरह से RSS के प्रति समर्पित हो गए। इसी दौरान उन्हें मधुबनी का जिला प्रचारक भी बनाया गया था।
राम मंदिर के लिए हमेशा याद किए जाएंगे चौपाल
वैसे राजनीति से ज्यादा कामेश्वर चौपाल को राम मंदिर आंदोलन के लिए याद किया जाएगा। कामेश्वर चौपाल का अयोध्या से खास लगाव था। वह राम मंदिर आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही जुड़े रहे थे। इसी को लेकर राष्ट्रिय स्वंयसेवक संघ ने उन्हें पहला कार सेवक का दर्जा दिया था। बता दें कि 1989 में जब राम मंदिर का शिलान्यास हुआ तो कामेश्वर चौपाल ही वह पहले शख्स थे, जिन्होंने पहली ईंट रखी थी। वो एक ऐतिहासिक पल था, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
दिया था 'रोटे के साथ राम' का नारा
इतना ही नहीं चौपाल ने 'रोटी के साथ राम' का नारा भी दिया था, जो उस समय काफी फेमस भी हुआ था। इसी नारे ने राम मंदिर आंदोलन को एक नई दिशा दी और लोगों को इससे जोड़ा। चौपाल राम मंदिर आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा बन गए।