पूर्व नौकरशाहों ने करकरे पर प्रज्ञा के बयान की निंदा की, उम्मीदवारी वापस लेने की मांग
पूर्व अधिकारियों ने एक खुले पत्र में कहा कि ठाकुर ने राजनीतिक मंच का इस्तेमाल न सिर्फ अपनी "कट्टरता को दिखाने के लिये" किया बल्कि उन्होंने करकरे की यादों का भी अपमान किया है। करकरे मुंबई के 26/11 हमलों में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
नयी दिल्ली: अलंकृत आईपीएस अधिकारी शहीद हेमंत करकरे के बारे में लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा दिये बयान से नाराज 70 से ज्यादा सेवानिवृत लोक सेवकों ने उनकी उम्मीदवारी वापस लेने की मांग की है।
गौरतलब है कि प्रज्ञा ने कहा था कि हेमंत की मौत उनके शाप से हुई थी क्योंकि उन्होंने उन्हें मालेगांव बम धमाका मामले में जेल में यातनाएं दी थीं। प्रज्ञा मालेगांव मामले में अब भी आरोपी हैं और भाजपा ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
पूर्व अधिकारियों ने एक खुले पत्र में कहा कि ठाकुर ने राजनीतिक मंच का इस्तेमाल न सिर्फ अपनी "कट्टरता को दिखाने के लिये" किया बल्कि उन्होंने करकरे की यादों का भी अपमान किया है। करकरे मुंबई के 26/11 हमलों में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
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पूर्व अधिकारियों ने अपने पत्र में लिखा, "...एक पूर्व सहकर्मी, एक अधिकारी, जो अपने पेशेवराना अंदाज के लिये जाना जाता हो उनका इस तरह अपमान हैरान करने वाला है और इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। देश को करकरे के बलिदान का सम्मान करना चाहिये और उनका तथा उनकी स्मृतियों का अपमान नहीं करने दिया जाना चाहिये।"
पत्र में कहा गया है, "करकरे के साथ या उनकी देखरेख में काम करने वाला हर अधिकारी मानता है कि वह निहायत ईमानदार और प्रेरणा देने वाले व्यक्ति थे।"
इस पत्र पर पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवानकर और प्रसार भारती के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार के भी हस्ताक्षर हैं।
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पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन करने पर भी नाराजगी जताई गई है। प्रधानमंत्री ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी को "हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक" करार दिया था।
पूर्व अधिकारियों ने एक सुर में प्रज्ञा के बयान की निंदा करने और भाजपा से उनकी उम्मीदवारी खारिज करने की मांग की। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चुनाव के दौरान बने भय के माहौल को खत्म करने के लिये कदम उठाने की अपील की।
(भाषा)