इशरत केस में घिरे पूर्व होम सेक्रेटरी पिल्लई, हलफनामे में बदलाव का था पता
नई दिल्लीः यूपीए सरकार के दौरान गृह सचिव रहे जीके पिल्लई इशरत जहां एनकाउंटर केस के हलफनामे पर घिर गए हैं। पिल्लई ने दावा किया था कि इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल दूसरे हलफनामे में बदलाव का उन्हें पता नहीं था। वहीं, इस मामले में गायब हुए दस्तावेजों की जांच कर रही बीके प्रसाद की एक सदस्यीय कमेटी ने दावा किया है कि पिल्लई को पता था कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हलफनामे में क्या बदलाव किए हैं।
क्या है मामला?
-जीके पिल्लई ने 18 सितंबर 2009 को तत्कालीन अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती को पत्र लिखा।
-इस पत्र में कहा गया है कि सहायक हलफनामे को लेकर कानून मंत्री के चेंबर में चर्चा हुई।
-पत्र की कॉपी गृह सचिव के दफ्तर के कम्प्यूटर से जांच दल को मिली है।
-पिल्लई ने दावा किया था कि चिदंबरम ने उन्हें जानकारी न देकर दूसरा हलफनामा तैयार किया था।
-कानून मंत्री के यहां बातचीत के बारे में केस से जुड़ी फाइल पर न पिल्लई और न ज्वॉइंट सेक्रेटरी ने नोट लिखा।
दोनों हलफनामे में क्या था?
-पहले हलफनामे में बताया गया था कि मुंबई की 19 साल की इशरत जहां 2004 में अहमदाबाद के बाहर एनकाउंटर में मारी गई।
-इसमें कहा गया था कि वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य थी।
-पहला हलफनामा आईबी, महाराष्ट्र और गुजरात पुलिस के इनपुट्स के आधार पर था।
-दूसरे हलफनामे में कहा गया कि ऐसे पक्के सबूत नहीं हैं कि इशरत जहां आतंकी थी।
-पिल्लई ने दावा किया था कि दूसरा हलफनामा चिदंबरम ने तैयार किया था।
पूर्व ज्वॉइंट सेक्रेटरी पर भी उठी उंगली
-जांच टीम के मुताबिक पिल्लई और चिदंबरम के बीच आदान-प्रदान के दौरान दस्तावेज गायब हुए।
-पूर्व ज्वॉइंट सेक्रेटरी डी. दीप्तिविलास ने बताया कि उन्होंने पिल्लई की ओर से अटॉर्नी जनरल को भेजा पत्र नहीं देखा।
-दीप्तिविलास जनवरी 2008 से मार्च 2010 तक आंतरिक सुरक्षा विभाग देखते थे।
-दीप्तिविलास ने बताया कि उन्होंने एक सीलबंद लिफाफा देखा था, लेकिन ये इशरत मामले की फाइल का हिस्सा नहीं था।
-उन्होंने दूसरे हलफनामे का ड्राफ्ट देखने से भी जांच दल के सामने इनकार किया था।