जनरल रावत ने किया सरकार का बचाव, सेना में रिटायरमेंट की उम्र को लेकर दिए संकेत

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने सेना के तीनों अंगों में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने के संकेत दिए हैं। जनरल रावत ने कहा कि वह विभिन्न हथियारों और सेवाओं की परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तीनों सेनाओं में सेवानिवृत्ति की उम्र

Update: 2020-02-03 05:14 GMT

नई दिल्ली :देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने सेना के तीनों अंगों में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने के संकेत दिए हैं। जनरल रावत ने कहा कि वह विभिन्न हथियारों और सेवाओं की परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तीनों सेनाओं में सेवानिवृत्ति की उम्र में बढ़ोतरी के माध्यम से पेंशन मैनेजमेंट को ज्यादा प्राथमिकता देंगे। साथ ही अधिग्रहण और अन्य आवश्यकताओं के लिए अपनी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देंगे।

 

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रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी को लेकर हो रही आलोचना के बीच जनरल रावत ने रविवार को सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट पर चिंता की कोई बात नहीं है, अगर अतिरिक्त बजट की जरूरत महसूस होती है तो हम सरकार से संपर्क करेंगे। उन्होंने ने कहा, ‘हथियारों व सेवाओं की परिचालन आवश्यकताओं के मद्देनजर सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, इसके बाद अगर फंड की कमी महसूस होती है तो सरकार को इससे बताया जाएगा। इसको लेकर चिंता की कोई बात नहीं। सीडीएस होने के नाते मेरे लिए ये जरूरी है कि तीनों सेवाओं के संतुलित आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता दी जाए।’

 

नहीं बढ़ा रक्षा बजट

एक फरवरी को लोकसभा में पेश आम बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रक्षा बजट में 3.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। पिछले बजट में 3.18 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। सेना के तेजी से आधुनिकीकरण के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन पिछले रक्षा बजट की तुलना में इस बार बढ़ोतरी मात्र 5.63 फीसदी है। इसको लेकर सरकार की आलोचना हो रही है।

वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह नेगी ने कहा कि मोदी सरकार से जो उम्मीद की जा रही थी, उसके मुताबिक रक्षा बजट नहीं बढ़ाया गया है। चीन, अमेरिका जैसे देश आज अपने रक्षा क्षेत्र पर जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं। यहां भी इसकी काफी जरूरत है।

 

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भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए हो रही रक्षा उपकरणों व हथियारों की खरीद पर रक्षा बजट में हुई मामूली वृद्धि का असर पड़ सकता है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 में भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए 3.37 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव रखा। यह वर्ष 2019-20 में किए प्रावधान से जहां 5.8 प्रतिशत अधिक है, वहीं संशोधित अनुमान के मुकाबले इसमें केवल 1.9 प्रतिशत ही वृद्धि दर्ज की गई है।

रक्षा बजट में मिले 3.37 लाख करोड़ रुपये में से करीब 1.18 लाख करोड़ यानी 35 प्रतिशत राशि ही शुद्ध रूप से आयुध, सैन्य उपकरणों, साजो सामान, आदि की खरीद, रिपेयर व देखरेख पर खर्च होंगे। बीते बजट अनुमान में यह राशि 1.08 लाख करोड़ थी, जो संशोधित अनुमान में 1.15 करोड़ कर दी गई।

वित्त वर्ष 2020-21 में बाकी 2.19 लाख करोड़ रुपये यानी 65 प्रतिशत सेना के वेतन-भत्तों व अन्य ढांचागत कार्यों पर खर्च होंगे। इसका असर कई प्रकार की रक्षा खरीद पर असर हो सकता है। खुद रक्षामंत्री रह चुकीं सीतारमण ने अपने भाषण में रक्षा बजट पर जिक्र नहीं किया। थल सेना : एम777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर, के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड गन, भारत द्वारा ही विकसित धनुष होवित्जर।, वायु सेना : राफेल फाइटर जेट और एस400 एयर डिफेंस सिस्टम, नौ सेना : 2027 तक 200 वारशिप खरीद की योजना।

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