Nirmala Sitharaman: ओल्ड पेंशन की मांग कर रहे लोगों के लिए खुशखबरी! केंद्र सरकार ने पेंशन पर किया बड़ा फैसला

Nirmala Sitharaman: वित्त सचिव सोमनाथ ने कहा कि गठित हुई समिति सभी संबंधित साझेदारों के मुद्दों पर विचार करने का प्रयास करेगी। फिलहाल, इस समिति के गठन, सदस्यों और समय सीमा के बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं गई गई है।

Update:2023-03-25 17:24 IST
Nirmala Sitharaman (सोशल मीडिया)

Nirmala Sitharaman: क्या देश में फिर से सरकारी कर्मचारी के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू होगी? कई गैरभाजपा शासित राज्यों में कर्मचारियों के लिए लागू की जा चुकी ओल्ड पेशन स्कीम (ओपीएस) के बीच जब सरकारी कर्मचारियों के पेंशन के मुद्दों पर समिति गठित होने के सूचान प्राप्त हुई तो इस बात को और बल मिला कि क्या केंद्र सरकार भी ओपीएस के मूड में है? अगर केंद्र की मोदी सरकार फिर से कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम बहाल कर देती है तो कर्मचारियें के लिए राहत की बात है ही, उन कर्मचारियों के लिए भी राहत की बात होगी, जो बीते कई सालों से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर केंद्र व राज्य की सरकारों से दो- दो हाथ कर रहे हैं।

पेंशन मुद्दे पर गठित समिति की सदन को दी जानकारी

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि सरकारी कर्मचारियों के पेंशन के मुद्दे पर एक समिति गठित की गई है। इस समिति की जिम्मेदारी वित्त सचिव टीवी सोमनाथ को गई दी है। कर्मचारियों के एक हिस्से से मांगों के बीच नई पेंशन प्रणाली की समीक्षा करने के लिए एक समिति की स्थापना की घोषणा की है। यह घोषणा ऐसे समय हुई है, जब कई राज्य की सरकारें नई पेंशन स्कीम को छोड़कर अपने यहां पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर दी हैं और कई सरकारें इसकी तैयारी कर रही हैं। बता दें कि पुरानी पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत हए कर्मियों को अंतिम वेतन के 50 फीसदी राशि के रुप में प्राप्त होता है।

ये हैं समिति के अध्यक्ष

केंद्रीय वित्त मंत्री ने सदन में कहा कि वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में पैनल एक दृष्टिकोण विकसित करेगा जो आम नागरिकों की रक्षा के लिए राजकोषीय विवेक को बनाए रखते हुए कर्मचारियों की जरूरतों को संबोधित करता है। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने वाले कुछ विपक्षी राज्यों पर बहस के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक समिति को वित्त सचिव के तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को देखने के लिए स्थापित किया जाएगा। वहीं, वित्त सचिव सोमनाथ ने कहा कि गठित हुई समिति सभी संबंधित साझेदारों के मुद्दों पर विचार करने का प्रयास करेगी। फिलहाल, इस समिति के गठन, सदस्यों और समय सीमा के बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं गई गई है।

जानें अब लागू हो हुई थी एनपीएस

आपको बता दें कि रिटायर्ड कर्मचियों की बढ़ती पेंशन का सामना करते हुए केंद्र सरकार ने जनवरी, 2004 को पुरानी पेंशन स्कीम खत्म कर नई पेंशन स्कीम लागू कर दी थी। सरकार ने कहा था कि अब से सभी नई भर्तियों एनपीएस के तहत की होंगी। एनपीएस के तहत सरकारी कर्मचारी पेंशन के लिए अपने वेतन का 10% योगदान देते हैं और कुछ हिस्सा सरकार योगदान करती है। एनपीएस निवेश कर पेंशन योजना है। यह फिक्सड पेंशन की गारंटी नहीं प्रदान करती है, लेकिन दीर्घावधि में अधिक प्रीमियम मुहैया करवाती है। वहीं, पुरानी पेंशन योजना एक फिक्सड पेंशन मुहैया करवाती है और यह पेंशन की राशि अंतिम लिए गए वेतन का 50 फीसदी हिस्सा होती है।

इन राज्यों ने एनपीएस से किया निकलने का फैसला

राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब ने एनपीएस से बाहर निकलने का फैसला किया है, लेकिन पेंशन फंड प्रबंधकों के साथ जमा किए गए धन की वापसी करने में असमर्थ हैं, क्योंकि कानून इसके लिए प्रदान नहीं करता है। रिफंड की अनुपस्थिति में इन राज्यों को या तो पिछले 16-17 वर्षों के लिए फंड प्रदान करना होगा या एनपीएस से चिपके रहना होगा। जबकि केंद्र ने अब तक इस मुद्दे पर चुप है।

ओपीएस पर नीति निर्माताओं का यह तर्क

हालांकि पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली पर पूर्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं ने तर्क दिया है कि ओपीएस में वापसी का सरकारी वित्त पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

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