GBS News in India: महामारी की दस्तक ! तेजी से लोगों को चपेट में ले रहा है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, महाराष्ट्र में पहली मौत
BS News in India: फ्रांसीसी न्यूरोलॉजिस्ट जॉर्जेस गुइलेन और जीन एलेक्जेंडर बैरे ने पहली बार 1916 में इस सिंड्रोम की खोज की थी। हालांकि इस बीमारी का सटीक कारण साफ नहीं है, लेकिन यह अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, वैक्सीनेशन या बड़ी सर्जरी के बाद होता है।;
GBS News in India: भारत में गुइलेन बैरे सिंड्रोम तेजी से फैल रहा है। फिलहाल महाराष्ट्र का पुणे इससे सर्वाधिक प्रभावित है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस जनित है या बैक्टीरिया के कारण होता है। महाराष्ट्र के पुणे में इस बीमारी का सर्वाधिक अटैक देखने को मिल रहा है। एक जानकारी के मुताबिक फ्रांसीसी न्यूरोलॉजिस्ट जॉर्जेस गुइलेन और जीन एलेक्जेंडर बैरे ने पहली बार 1916 में इस सिंड्रोम की खोज की थी। हालांकि इस बीमारी का सटीक कारण साफ नहीं है, लेकिन यह अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, वैक्सीनेशन या बड़ी सर्जरी के बाद होता है।
पुणे में रविवार को दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों की संख्या 100 का आंकड़ा पार कर गई। सोलापुर से एक संदिग्ध जीबीएस मरीज की मौत की सूचना भी मिली है। प्रारंभिक अपुष्ट रिपोर्टों ने संकेत दिया कि पीड़ित को पुणे में संक्रमण हुआ और बाद में वह सोलापुर गया। सोलापुर मामले के अलावा, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने पुणे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे ग्रामीण और कुछ पड़ोसी जिलों में जीबीएस के संदिग्ध 18 अन्य व्यक्तियों की भी पहचान की। विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन 101 मरीजों में से 16 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। जबकि 68 मरीज पुरुष हैं, 33 महिलाएं हैं।
राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू से किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि 101 मरीजों में से 19 9 वर्ष से कम उम्र के हैं, 15 मरीज 10-19 आयु वर्ग के हैं, 20 मरीज 20-29 आयु वर्ग के हैं, 13 पीड़ित 30-39 आयु वर्ग के हैं, 12 मरीज 40-49 आयु वर्ग के हैं, 13 प्रभावित 50-59 आयु वर्ग के हैं, जबकि आठ 60-69 आयु वर्ग के हैं, और एक मरीज 70-80 आयु वर्ग का है। यानी यह सभी आयु वर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहा है।
जीबीएस के बारे में कहा जाता है कि यह एक तीव्र न्यूरोपैथी रोग है। इसे ऑटोइम्यून बीमारी भी कहते हैं।मोटे तौर पर यह न तो वंशानुगत मानी जाती है और न ही संक्रामक। जीबीएस के इलाज में इम्यून ग्लोबुलिन या प्लाज़्मा एक्सचेंज थेरेपी दी जाती है। ज़्यादातर मामलों में, लक्षणों के शुरू होने के दो से चार सप्ताह के भीतर आईवीआईजी उपचार दिया जाता है। लेकिन मरीज के पूरी तरह ठीक होने में 6 महीने से 2 साल तक का समय भी लग सकता है।
पुणे में एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के प्रकोप की सूचना के बाद, जिसमें अब तक 101 मामले सामने आ चुके हैं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब स्थिति का आकलन करने के लिए शहर में एक टीम भेजी है। महाराष्ट्र सरकार ने संक्रमण में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम भी गठित की है।