कोरोना वारियर्स ने फ़र्ज़ के खातिर टाली शादी, कहा- देश से जरूरी नहीं निजी मामले

केरल के एक सिविल पुलिस अधिकारी और महिला डॉक्टर ने वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग में एक मिसाल पेश करते हुए अपनी जिम्मेदारियों के खातिर अपनी शादी को टाल दिया

Update: 2020-04-14 07:38 GMT

पूरा देश इस समय कोरोना वायरस महामारी के संकट से जूझ रहा है। देश में निरंतर कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं। जिसके चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है। ऐसे में दो लोगों को सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। एक डॉक्टर्स जो लगातार अपनी जान जोखिम में डाल कर कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं। और दूसरे पुलिसकर्मी जो लगातार दिन रात एक करके लोगों की सुरक्षा के लिए सड़कों पर घूम रहे हैं और बाकी लोगों को घर से निकलने से मना कर रहे हैं। केरल में इन दोनों ही कोरोना वारियर्स ने एक मिसाल पेश की है।

इस महीने की शुरुआत में होनी थी शादी

कोरोना वायरस के चलते चिकित्साकर्मियों और पुलिसकर्मियों की भूमिकाएं बेहद अहम हो गई हैं। ऐसे में केरल के एक सिविल पुलिस अधिकारी और महिला डॉक्टर ने इस वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग में एक मिसाल पेश की है। दोनों ही कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारियों से न भागते हुए अपनी जिम्मेदारियों को पहले रख कर अपनी शादी टालने का फैसला किया है।

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और बाकी लोगों को एक सन्देश दिया। दोनों की शादी इस महीने की शुरुआत में होनी थी। दोनों परिवारों की आपत्ति को दरकिनार करते हुए, 32 वर्षीय सिविल पुलिस अधिकारी एम प्रसाद और सरकारी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काम कर रही डॉक्टर 25 वर्षीय पी आर्या ने अपनी शादी टाल दी।

देश के प्रति जिम्मेदारियां निजी मामलों से जरूरी

लॉकडाउन के मद्देनजर दोनों परिवारों ने शादी के आयोजन को कम मेहमानों की मौजूदगी में साधारण ही रखने का फैसला किया था। लेकिन लड़का और लड़की के दबाव के सामने उन्हें झुकना पड़ा। विथुरा निवासी प्रसाद ने कहा कि वह राजधानी शहर में यातायात ड्यूटी में व्यस्त हैं जहां उनका काम बंदी के नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों की जांच करना है और वह जरूरतमंदों को भोजन का पैकेट वितरित करने के काम में भी शामिल हैं।

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प्रसाद ने कहा, हम हर वक्त अपने निजी मामलों को महत्व नहीं दे सकते। डॉ आर्या, कन्याकुलांगरा में स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की जांच करने में व्यस्त हैं। आर्या ने कहा, सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले ज्यादातर लोग हम जैसे साधारण लोग हैं। इसलिए मैंने सोचा कि हमें इस संकट के समय में समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नहीं भूलना चाहिए।

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