हरीश की त्रिवेंद्र सरकार को खुली चुनौती, कहा- हिम्मत है तो सवालों का जवाब दो
देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिवेंद्र रावत सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा है, कि 'अगर हिम्मत है तो वह आयें और मैं हर चौराहे पर खड़ा होकर हिसाब देने को तैयार हूं।' त्रिवेंद्र सरकार का हरीश रावत सरकार पर आरोप है कि इस सरकार ने जाने से पहले उत्तराखंड का खजाना खाली कर दिया था। अब इस पर वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री आमने-सामने हैं।
हरीश रावत का दावा है कि वह पाई-पाई का हिसाब देने को तैयार हैं। आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए वह कहते हैं, कि 'जब उनकी सरकार सत्ता में आई थी तो राज्य पर 39 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। सरकार सत्ता से गई तो 41 हजार करोड़ का कर्ज था। यह कर्ज भी आरबीआई की गाइडलाइन से बहुत कम है। अगर हमने खजाने में पैसे नहीं छोड़े, तो त्रिवेंद्र सरकार ने मार्च, अप्रैल, मई और जून का वेतन कहां से दिया। खजाना खाली होता तो ट्रेजरी से चेक बाउंस हो जाते। उनका हाल नाच न जाने आंगन टेढ़ा जैसा है।'
राजस्व बढ़ोत्तरी में उत्तराखंड दूसरे नंबर पर था
वह कहते हैं कि जब सरकार ने नई वसूली जून में शुरू की तो चार माह किसके पैसे से मौज काटी। उनका आरोप है, कि सरकार वसूली नहीं कर पा रही है। वर्ष 2016-17 में साढ़े 19 प्रतिशत राजस्व बढ़ोत्तरी के साथ उत्तराखंड देश में दूसरे नंबर पर था। हमसे पहले सिर्फ कर्नाटक था। इसलिए आरोप निराधार है।
हरीश के ये हैं आऱोप
-गदरपुर में हुए ध्वस्तीकरण से पहले सरकार को लोगों से बात करनी चाहिए थी।
-सितारगंज मिल उस समय बंद कर दी, जब किसान अपना गन्ना लेकर मिल की ओर जा रहे थे।
-सरकार ने किसानों का 300 करोड़ रुपए रोक कर रखा है।
-धान खरीद के नाम पर भी सरकार ने किसानों को ठगा है।
-तराई में सत्तारूढ़ दल के लोगों ने जमीनों पर अवैध कब्जे कर रखे हैं।
-आवाज उठाने वालों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।