Arvind Kejriwal: केजरीवाल को क्यों सता रही है पंजाब की चिंता, दिल्ली में AAP की करारी हार के बाद जानिए क्या है रणनीति
Arvind Kejriwal: दिल्ली में आप की करारी हार के बाद अब पार्टी के पास अब सिर्फ पंजाब की सत्ता बची रह गई है।;
Arvind Kejriwal
Arvind Kejriwal: दिल्ली में आप की करारी हार के बाद अब पार्टी के पास अब सिर्फ पंजाब की सत्ता बची रह गई है। ऐसे में अब पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पंजाब में पार्टी की एकजुटता को लेकर सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस की ओर से आप में बड़ी टूट के दावों के बीच केजरीवाल पार्टी के विधायकों को एकजुट बने रहने का सख्त संदेश दिया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब में आप को करारा झटका लगा था। इसलिए केजरीवाल पंजाब को लेकर भी काफी चिंतित दिख रहे हैं। उन्होंने पंजाब सरकार के मंत्रियों को निर्देश दिया है कि पंजाब में बाकी बचे दो साल में जी जान लगाकर काम करें और आम लोगों की समस्याओं की अनदेखी न करें। उन्होंने जनता से किए गए वादों को भी पूरा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के चुनाव को जीतना हमारी प्राथमिकता है और इसलिए किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं की जानी चाहिए।
लोकसभा चुनाव में लगा था बड़ा झटका
मौजूदा समय में पंजाब में आम आदमी पार्टी काफी ताकतवर स्थिति में है। 2022 के विधानसभा चुनाव में आप ने 117 में से 92 सीटों पर जीत हासिल करके सबको चौंका दिया था। उस समय सत्ता की दावेदार मानी जा रही कांग्रेस को सिर्फ 18 सीटों पर जीत मिली थी। शिरोमणि अकाली दल को तीन, भाजपा को दो और बसपा के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी।
वैसे पंजाब में आप की सतर्कता का एक कारण यह भी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को करारा झटका लगा था। विधानसभा चुनाव में फिसड्डी रहने वाली कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आप को बैकफुट पर धकेल दिया था। कांग्रेस सात लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि आप सिर्फ तीन सीटों पर सिमट गई थी।
हरसिमरत कौर बादल लोकसभा सीट जीतने वाली शिरोमणि अकाली दल की एकमात्र प्रत्याशी रहीं। इसके अलावा पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के हत्यारे का बेटा सरबजीत सिंह खालसा और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने भी जीत हासिल की थी।
अब पंजाब पर रहेगा केजरीवाल का फोकस
दिल्ली की हार के बाद केजरीवाल को पंजाब की सत्ता को अपने हाथ में बनाए रखने की चिंता सताने लगी है। केजरीवाल ने दिल्ली के कपूरथला हाउस में मंगलवार को पार्टी विधायकों की बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि जनता के काम हर हाल में किए जाने चाहिए। उन्होंने दिल्ली का चुनाव पूरी मजबूती से लड़े जाने को लेकर पंजाब के पार्टी नेताओं को बधाई दी और इसके साथ ही राज्य में पूरी तरह एकजुटता बनाए रखने का संदेश भी दिया।
केजरीवाल के रुख से साफ हो गया है कि अब आने वाले दिनों में वे पंजाब पर पूरी तरह फोकस करेंगे। आप ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद पंजाब की सत्ता हासिल की थी मगर दिल्ली की सत्ता छिन जाने के बाद अब पंजाब आम आदमी पार्टी के लिए काफी अहम हो गया है। पंजाब के हाथ से निकलने की स्थिति में पार्टी का सियासी वजूद खतरे में पड़ सकता है।
पंजाब में अभी तक सबसे बड़ा वादा अधूरा
पंजाब में विधानसभा चुनाव अभी दो साल बाद होने वाले हैं। वैसे अब दिल्ली की हार के बाद मान सरकार पर चुनाव पूर्व के वादों को पूरा करने, विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष के हमले का पलटवार करने में काफी सतर्क रहना होगा। मान पर केजरीवाल के इशारे पर काम करने का आरोप लगता रहा है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली में केजरीवाल की हार के बाद मान पंजाब की ड्राइविंग सीट को कैसे संभालते हैं।
मान सरकार को सत्ता में तीन साल बीत चुके हैं मगर अभी तक वे अपनी पार्टी का सबसे बड़ा वादा पूरा नहीं कर सके हैं। पंजाब में आप का सबसे बड़ा चुनावी वादा महिलाओं को हर माह एक हजार की आर्थिक मदद देने का था जो कि अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। प्रदेश पर लगातार बढ़ते कर्ज के बोझ के कारण इस वादे को पूरा करना भी आसान नहीं माना जा रहा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि बाकी बचे दो साल में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान पंजाब में आम आदमी पार्टी की चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।