हरियाणा के नतीजे का UP पर भी होगा बड़ा असर, BJP को मिलेगी ताकत, उपचुनाव में मोलभाव नहीं कर पाएगी कांग्रेस

Haryana Election Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव का असर यूपी उपचनाव पर भी देखने को मिल सकता है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-09 09:10 IST

Haryana Election Result (newstrack) 

Haryana Election Result: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत हासिल की है। एग्जिट पोल के अनुमानों को ध्वस्त करते हुए पार्टी 48 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है जबकि कांग्रेस 37 सीटों पर ही अटक गई है। अब माना जा रहा है कि हरियाणा के चुनाव नतीजे का उत्तर प्रदेश की सियासत पर भी बड़ा असर पड़ेगा। हरियाणा के नतीजों से भाजपा कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा है। ऐसे में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा की चुनावी संभावनाओं को मजबूती मिली है।

इसके साथ ही एनडीए में शामिल सहयोगी दल भाजपा पर अब ज्यादा दबाव नहीं बना पाएंगे। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन पर भी इन नतीजों का असर पड़ना तय माना जा रहा है। उपचुनाव वाली सीटों के बंटवारे को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच अभी तक पेंच फंसा हुआ है। अब माना जा रहा है कि कांग्रेस सपा पर ज्यादा सीटों का दबाव नहीं बना पाएगी।

भाजपा के साथ लामबंद होंगे ओबीसी मतदाता

हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे ओबीसी वोट बैंक की गोलबंदी और दलित वोट बैंक के समर्थन को बड़ा कारण माना जा रहा है। नायब सिंह सैनी की अगुवाई और चेहरे पर भाजपा ने यह बड़ी कामयाबी हासिल की है। सियासी जानकारों का मानना है कि हरियाणा के नतीजे से भाजपा के पक्ष में सैनी, शाक्य मौर्य और कुशवाहा मतों की गोलबंदी और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।


हरियाणा के नतीजे से भाजपा को इन जातियों के मतदाताओं को लामबंद करने में मदद मिलेगी। प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में इन जातियों से जुड़े मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। उत्तर प्रदेश में यादव और कुर्मी मतदाताओं के बाद इन जातियों के मतदाता काफी अहम माने जाते रहे हैं। ओबीसी वोट बैंक के दम पर भाजपा उत्तर प्रदेश में अपनी ताकत दिखाती रही है और यह लामबंदी आगे भी भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली साबित होगी।

इंडिया गठबंधन भी होगा कमजोर

हरियाणा के नतीजों से इंडिया गठबंधन की ताकत भी कमजोर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। आप मुखिया अरविंद केजरीवाल और शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे ने तो कांग्रेस को नसीहत तक देनी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव के नतीजे से इंडिया गठबंधन को ताकत मिली थी मगर हरियाणा के नतीजे ने एक बार फिर सहयोगी दलों के बीच खींचतान की स्थिति पैदा कर दी है। हरियाणा में कांग्रेस ने अति आत्मविश्वास के कारण आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था। ऐसे में आप प्रत्याशियों के कारण भी कई विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।

यूपी उपचुनाव जीतने में मिलेगी मदद

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव दिख रहा था मगर हरियाणा के नतीजे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक बार फिर संजीवनी दे दी है। भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में भी अच्छा प्रदर्शन किया है और पार्टी के इस प्रदर्शन ने योगी सरकार को भी नई ताकत दी है। सियासी जानकारों का कहना है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन से भाजपा को यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी काफी मदद मिलेगी।


उपचुनाव वाली सीटों पर भाजपा की सियासी राह अब आसान मानी जाने लगी है। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही काफी मेहनत कर रहे हैं और अब हरियाणा की जीत ने उनके प्रयासों को और मजबूती दे दी है। इसके साथ ही यह भी तय है कि उपचुनाव वाली सीटों पर अब एनडीए के सहयोगी दल भाजपा पर ज्यादा दबाव नहीं बना पाएंगे।

सपा और कांग्रेस के बीच बढ़ेंगी दूरियां

हरियाणा में कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था और सहयोगी दलों को नजरअंदाज कर दिया था। अब हरियाणा के नतीजे से सपा और कांग्रेस की दूरियां बढ़ना तय माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अभी तक कांग्रेस यूपी चुनाव वाली 10 में से 5 सीटों पर दावेदारी करती रही है जबकि समाजवादी पार्टी कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय यह बात खुलकर कह चुके हैं की पार्टी उपचुनाव में पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। वैसे यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सपा हरियाणा में दो सीटें मांग रही थी मगर कांग्रेस ने दो सीटें देने से भी इनकार कर दिया था।

कांग्रेस मोलभाव करने की स्थिति में नहीं

कांग्रेस ने अभी तक सपा पर दबाव बना रखा था मगर हरियाणा के नतीजे के बाद कांग्रेस मोलभाव करने की स्थिति में नहीं दिख रही है। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस सब समाजवादी पार्टी पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव नहीं बना पाएगी। सपा भी आने वाले दिनों में कांग्रेस को नसीहत देने से परहेज नहीं करेगी। हरियाणा में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी और अब सपा भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को तेवर दिखा सकती है।

माना जा रहा है कि हरियाणा के नतीजे के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव अब कांग्रेस के दबाव में आने वाले नहीं है। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन का सपा और कांग्रेस दोनों दलों को फायदा हुआ था मगर अब सियासी हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी गठबंधन की अहमियत पता है मगर अब वे कांग्रेस के साथ अपनी शर्तों पर गठबंधन करेंगे। हालांकि अभी यह देखा जाना बाकी है कि कांग्रेस हरियाणा में लगे झटके का अन्य राज्यों में असर न पड़ने देने के लिए क्या कदम उठाती है।

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