बाढ़ में डूबेंगे भारत के कई हिस्से: वैज्ञानिकों ने चेताया, सदी के अंत तक होगा ऐसा
स्टडी के मुताबिक, पूर्वी अफ्रीका और हिंद महासागर के ऊपर उष्णकटिबंधीय वर्षा पट्टी (Tropical rain strip) के उत्तर की तरफ स्थानांतरित होने से दक्षिण भारत में बाढ़ की तीव्रता बढ़ सकती है।
नई दिल्ली: बीते दिनों उत्तराखंड में अचानक आई बाढ़ ने काफी तबाही मचाई। इस बीच भारत के कई हिस्सों में बाढ़ आने का सिलसिला बढ़ने की आशंका जताई गई है। इसकी वजह पृथ्वी की भूमध्य रेखा के पास भारी वर्षा की एक संकीर्ण पट्टी के स्थानांतरण को बताया जा रहा है। एक स्टडी में इस बात को लेकर सचेत भी किया गया है। अध्ययन में पता चला है कि वर्तमान सदी के अंत तक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।
भारत में बढ़ सकती है बाढ़ की तीव्रता
इस स्टडी के मुताबिक, पूर्वी अफ्रीका और हिंद महासागर के ऊपर उष्णकटिबंधीय वर्षा पट्टी (Tropical rain strip) के उत्तर की तरफ स्थानांतरित होने से दक्षिण भारत में बाढ़ की तीव्रता बढ़ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इससे सदी के अंत तक यानी 2100 तक वैश्विक जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा भी प्रभावित होने की आशंका है।
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एशिया और अटलांटिक में बढ़ा तापमान
इस अध्ययन में शामिल अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के साइंटिस्ट ने कहा कि पहले के अध्ययनों में वर्षा पट्टी में यह बड़ा बदलाव सामने नहीं आया था। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से एशिया और उत्तर अटलांटिक महासागर में तापमान (Temperature) बढ़ा है। ताजा अध्ययन के तहत भारत में आगामी दशकों में आने वाले बड़े बदलावों को रेखांकित किया गया है।
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एशिया में ज्यादा तेजी से तापमान बढ़ेगा
वहीं, स्टडी के सह लेखक और यूसी इरविन के वैज्ञानिक ने बताया कि एरोसोल (Aerosol) उत्सर्जन में अनुमानित कमी, हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर के पिघलने और क्लाइमेट चेंज की वजह से उत्तरी क्षेत्रों में बर्फ का कवर हटने से अन्य क्षेत्रों कि तुलना में एशिया में ज्यादा तेजी से तापमान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि इस गर्मी के चलते वर्षा पट्टी का स्थानांतरण और पूर्वी गोलार्ध में उत्तर की तरफ इसकी गतिविधि क्लाइमेट चेंज के संभावित प्रभावों के अनुरूप है।
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