अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने फैसलों को पढ़ने में लापरवाही बरतने वाले एक जज के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने जज को अपने स्टेनोग्राफर के लिखे गए आदेश को आंख मूंदकर सुनाने का दोषी पाया है। जिसके बाद से जज के वेतन बढ़ोतरी पर दो साल तक के लिए रोक लगा दी है। साथ ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएस रेड्डी और जस्टिस वीएम पंचोली की बेंच ने बुधवार को जज की याचिका पर हाईकोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
ये है पूरा मामला
अहमदाबाद के पारिवारिक अदालत के जज पारिख पर साल 2011-12 में जूनागढ़ कोर्ट में प्रिंसिपल जिला न्यायाधीश रहते हुए कई आरोप लगे थे। जिसमें से एक आरोप स्टेनोग्राफर के लिखे गए आदेश को आंख मूंदकर पढकर सुनाने का भी था।
गुजरात हाईकोर्ट को उनके बारे में लगातार शिकायतें मिल रही थीं जिसके बाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (विजिलेंस) ने मामले की जांच की और उन्हें कुछ आरोपों का दोषी पाया। हालांकि हाईकोर्ट की स्टैंडिंग कमिटी ने पारिख को चार आरोपों से मुक्त कर दिया और केवल उन्हें स्टेनोग्राफर के लिखे गए आदेश को सुनाने का दोषी माना।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अकील कुरैशी की स्टैंडिंग कमिटी ने चैंबर कमिटी के सामने मामले को पेश किया। जिसने आरोपी जज के वेतन में दो स्तर पर कटौती करने की सिफारिश की। कमिटी ने अगले दो सालों के लिए या फिर फिर सेवानिवृत्त होने तक (जो भी लागू हो) जज के वेतन में बढ़ोतरी पर रोक लगाने की सिफारिश की है।
जज पारिख नवंबर 2019 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस फैसले के बारे में राज्य सरकार को सूचित किया गया है। 27 जून 2017 से अदालत का आदेश प्रभावी माना जाएगा। इसी वजह से पारिख को अपने सेवानिवृत्त होने तक वेतन में बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिलेगा।
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