Hattee Tribal Bill: हाटी समुदाय के पांच दशकों का संघर्ष रंग लाया, मिला 'जनजाति' का दर्जा, ये है इनके संघर्ष की गाथा

Hattee Community Bill : हाटी समुदाय को उनके पांच दशकों के संघर्ष का प्रतिफल मिला। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब बस राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर का इंतजार है।

Update:2023-07-26 21:32 IST
Hattee Tribal Bill (Social Media)

Hattee Community Bill : पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाटी समुदाय (Hattee Community) का पांच दशकों पुराना शांतिपूर्ण संघर्ष बुधवार (26 जुलाई) को रंग लाया। हाटी समुदाय को 'जनजाति' का दर्जा देने वाला बिल राज्यसभा (Hattee Tribal Bill) से भी पास हो गया।

आपको बता दें, ये बिल लोकसभा में पिछले साल 16 दिसंबर को पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) के हस्ताक्षर के बाद चार विधानसभा क्षेत्रों की 154 पंचायतों के 2 लाख लोगों को उनका जनजातीय संवैधानिक अधिकार मिल जाएगा।

बिल पास होते ही सिरमौर में ख़ुशी की लहर

संसद का मानसून सत्र अब तक काफी हंगामेदार रहा है। शोर-शराबे के बीच सरकार कुछ महत्वपूर्ण बिल पास कर रही है। केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister of Tribal Affairs Arjun Munda) बुधवार दोपहर बाद राज्यसभा में हाटी समुदाय से जुड़ा बिल पेश किया। दो घंटे तक चली चर्चा के बाद बिल पारित हो गया। राज्यसभा से बिल पारित होते ही सिरमौर के ट्रांसगिरि इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई।

बीजेपी ने पूरा किया चुनावी वादा

गौरतलब है कि, पूर्व की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jairam Thakur), सांसद सुरेश कश्यप (MP Suresh Kashyap), पूर्व विधायक बलदेव तोमर, विधायक रीना कश्यप और पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी के प्रयासों से इस मामले में एथनोग्राफी रिपोर्ट (Ethnography Report) शोध संस्थान के गठन के बाद केंद्र को भेजी थी। बीजेपी ने अपने चुनावी मेनिफेस्टो में हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का वादा किया था, जिसे आज पूरा किया। आख़िरकार, गिरिपार के हाटी समुदाय को उनका अधिकार मिला।

यूं जारी रहा हाटी समुदाय का संघर्ष

साल 1967 से हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा (Hattee Community Tribal Status) और गिरिपार क्षेत्र को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र घोषित किए जाने की मांग उठती रही थी। ये मामला मानव जाति विज्ञान संबंधी शोध अर्थात एथनोग्राफिक स्टडी सहित अन्य विभिन्न तकनीकी खामियों की वजह से टलता रहा था। वर्ष 1967 में उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र (Jaunsar Bawar region) को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। मगर, वहीं सटे हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के लोगों को इस तरह का लाभ नहीं मिला। उसी समय से हाटी समुदाय का संघर्ष शुरू हुआ, जो अब तक जारी रहा। लगातार जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग उठती रही। बता दें, जौनसार बावर क्षेत्र उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा से सटा है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, हाटी समुदाय के लोगों की संख्या करीब ढाई लाख थी, जो अब बढ़कर तीन लाख के आसपास हो गई है।

ऐसे पड़ा हाटी समुदाय नाम

गिरीपार क्षेत्र के निवासियों के लिए दुर्गम इलाकों में कहीं भी बाजार उपलब्ध नहीं था। यहां के निवासी समूह में आवश्यक सामान की खरीद करने और अपने उत्पादों को बेचने के लिए समीपवर्ती बाजारों में जाया करते थे। ये लोग अपनी पीठ पर सामान लादकर ले जाते थे। इस समुदाय के लोग छोटे बाजार में सब्जियां, मांस, फसल और ऊन इत्यादि बेचते थे। हाट बाजारों में दुकानें लगाते थे। तब लोग इन्हें बुलाने के लिए हाटी कहा करते थे। इसी तरह हाट से होते-होते इस समुदाय का नाम 'हाटी' पड़ गया।

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