यूपी एनकाउंटर: मानवाधिकार की जांच, क्या होगा आगे?

UP Encounter: अनुज प्रताप सिंह एनकाउंटर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता और सोशल एक्टिविस्ट गजेंद्र सिंह यादव ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-09-23 19:49 IST

यूपी एनकाउंटर: मानवाधिकार की जांच, क्या होगा आगे?: Photo- Social Media

UP Encounter: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुए डकैती कांड में एनकाउंटर में मारे गए अनुज प्रताप सिंह की मौत का मामला मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। इसे कांड में पहले हुए एनकाउंटर में मंगेश यादव की मौत का मामला पहले ही मानवाधिकार आयोग में पहुंचा हुआ है।

अनुज प्रताप सिंह की मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता और सोशल एक्टिविस्ट गजेंद्र सिंह यादव ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।

आयोग अब क्या करेगा, जानते हैं इसके बारे में।

कैसे होती है जांच

- मानवाधिकार हनन की शिकायतों पर जांच करते समय आयोग को कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 के अंतर्गत वे सभी शक्तियां प्राप्त हैं जो सिविल कोर्ट किसी मामले के बारे में अपनाता है। इसमें गवाहों को समन करना, उन्हें हाजिर करना और उनकी जांच करना, किसी दस्तावेज को ढूंढना एवं प्रस्तुत करना, हलफनामे पर साक्ष्य प्राप्त करना, किसी पब्लिक रिकॉर्ड को मांगना या किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से उनकी प्रति मांगना आदि शामिल है।

- मानव अधिकारों के हनन की शिकायतों पर जांच करने के लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में आयोग का अपना जांच स्टाफ होता है। अधिनियम के अंतर्गत आयोग किसी अधिकारी अथवा केन्द्र अथवा किसी राज्य सरकार की जांच एजेंसी की सेवाओं का उपयोग कर सकता है। आयोग ने जांच कार्य के लिए अनेक मामलों में गैर-सरकारी संगठनों को अपने साथ जोड़ा है।

- मानव अधिकारों के हनन की शिकायतों पर जांच करते समय आयोग निर्धारित समय के भीतर केन्द्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार अथवा किसी अन्य प्राधिकारी अथवा अधीनस्थ संगठन से सूचना अथवा रिपोर्ट मांग सकता है। अगर निर्धारित समय के भीतर यदि वह सूचना अथवा रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती, तो आयोग शिकायत पर स्वयं ही जांच शुरू कर सकता है। अगर सूचना अथवा रिपोर्ट प्राप्त होने पर आयोग संतुष्ट हो कि आगे जांच की आवश्यकता नहीं है या सरकार अथवा प्राधिकारी द्वारा अपेक्षित कार्रवाई की गई है तो आयोग शिकायत पर कार्यवाही नहीं कर सकता है।

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