Hyderabad Dhamaka History: जब दहल उठा था पूरा देश, हैदराबाद बम धमाके की दर्दनाक कहानी

Hyderabad Bam Dhamaka History 21 February: धमाकों के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, कई लोग सड़क पर गिर गए...;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-02-21 11:45 IST

Hyderabad Bam Dhamaka History 21 February  

Hyderabad Bomb Dhamaka History: 21 फरवरी 2013 को हैदराबाद के दिलसुखनगर इलाके में दो भीषण बम धमाके हुए, जिन्होंने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस आतंकी हमले में 17 लोगों की मौत हो गई और 120 से अधिक लोग घायल हुए। यह हमला भारतीय सुरक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर चुनौती थी और देश में बढ़ते आतंकवादी खतरों की ओर इशारा करता था। इस घटना ने सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और आम नागरिकों को सतर्क रहने का संदेश दिया।

धमाके का विवरण

दिलसुखनगर व्यावसायिक और शिक्षण संस्थानों का केंद्र है. बम धमाके उस वक्त हुए, जब छात्रों सहित बड़ी संख्या में लोग अपने घर जा रहे थे और थिएटर सहित खाने-पीने की दुकानों पर लोगों की भीड़ जमा थी.धमाके हैदराबाद के दिलसुखनगर इलाके में हुए, जो शहर के सबसे व्यस्त और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।


पहला धमाका शाम 7:01 बजे बस स्टॉप के पास हुआ।दूसरा धमाका 7:06 बजे एक सिनेमा हॉल के नजदीक हुआ।यह समय कार्यालयों और दुकानों के बंद होने का था, जब सड़कों पर भारी भीड़ थी। इस कारण हताहतों की संख्या ज्यादा रही।

हमले की योजना और आतंकवादियों की भूमिका

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और पुलिस की जांच में पाया गया कि इस आतंकी हमले के पीछे प्रतिबंधित संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) का हाथ था।यासीन भटकल, जो इंडियन मुजाहिदीन का सह-संस्थापक था, इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता था।आतंकियों ने साइकिलों पर बम लगाए थे, जिन्हें भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में खड़ा किया गया था।


विस्फोटक उपकरणों को इस तरह सेट किया गया था कि वे अधिकतम जनहानि कर सकें।इस घटना में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने सीरियल ब्लास्ट (एक के बाद एक कई धमाके) करने की रणनीति अपनाई, ताकि लोग भागने के दौरान भी हताहत हों।

धमाके के तुरंत बाद की स्थिति

धमाकों के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, कई लोग सड़क पर गिर गए, जबकि कुछ घायल लोग मदद की गुहार लगाने लगे।पुलिस और एंबुलेंस तुरंत मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया।राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां (NIA, IB और ATS) सक्रिय हो गईं और मौके पर सबूत इकट्ठा करने का काम शुरू किया।देश के अन्य बड़े शहरों (दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता) में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया।ऐसा तीसरी बार हुआ है कि दिलसुखनगर बम धमाकों का शिकार हुआ है. 2002 के बाद 2007 में जब हैदराबाद के कोठी और लुंबिनी पार्क में विस्फोट हुए तब दिलसुखनगर में भी एक बम पाया गया जिसे समय रहते नाकाम कर दिया गया था.


सूत्रों के अनुसार, यह भयानक हमला अचानक नहीं हुआ था, बल्कि इसकी योजना पहले से बनाई गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि आंध्र प्रदेश पुलिस पहले से ही इस संभावित खतरे से अवगत थी। खुफिया रिपोर्टों में बताया गया था कि आतंकियों ने इस हमले से कम से कम तीन महीने पहले शहर में रेकी की थी। इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के गिरफ्तार आतंकी सैयद मकबूल उर्फ जुबैर ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया था कि हैदराबाद के दिलसुखनगर, बेगम बाजार और अब्दीस आतंकियों के निशाने पर थे। इसके बावजूद, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं हो पाई, जिससे यह दुखद घटना हुई।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रारंभ में आतंकियों का निशाना इलाके में स्थित साईं बाबा मंदिर था। हालांकि, हैदराबाद पुलिस आयुक्त अनुराग शर्मा के दौरे के चलते उनकी योजना विफल हो गई, जिससे उन्हें अपना लक्ष्य बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।

यासीन भटकल भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक था। वह कर्नाटक के भटकल कस्बे का रहने वाला था और 2000 के दशक की शुरुआत में आतंकी गतिविधियों से जुड़ा। उसने इंडियन मुजाहिदीन (IM) नामक संगठन को मजबूत किया और कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया। उसे आईएसआई (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी) और लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन प्राप्त था।

यासीन भटकल:

यासीन भटकल, जिसका असली नाम अहमद जियार रहमान है, इंडियन मुजाहिदीन (IM) का सह-संस्थापक और भारत में कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है।


2007-2013 के बीच, उसने कई बड़े धमाकों की साजिश रची।2013 में, नेपाल सीमा से गिरफ्तार किए जाने के बाद उसे 2016 में मौत की सजा सुनाई गई। वह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे वांछित आतंकियों में शामिल था।

जांच और आतंकियों की गिरफ्तारी

NIA और पुलिस ने इस हमले की जांच शुरू की और कुछ महीनों बाद आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया।


मुख्य आरोपी:

  1. यासीन भटकल – इंडियन मुजाहिदीन का सह-संस्थापक और इस हमले का मास्टरमाइंड।
  2. असलम परवेज – विस्फोटकों की व्यवस्था की।
  3. रियाज भटकल – विदेश में रहकर योजना बनाई और वित्तीय मदद दी।
  4. इमरान और वकास – धमाकों को अंजाम देने वाले आतंकवादी।

कैसे पकड़ा गया?

यासीन भटकल को 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया।अन्य आतंकियों को अलग-अलग जगहों से पकड़ा गया।


पुलिस को धमाके के लिए इस्तेमाल की गई साइकिलों और विस्फोटक उपकरणों से सुराग मिले।धमाकों के बाद मिले CCTV फुटेज और कॉल रिकॉर्डिंग की मदद से आतंकियों की पहचान की गई।

सुप्रीम कोर्ट और सजा

इस घटना के चार साल बाद, 2016 में, NIA की विशेष अदालत ने यासीन भटकल और अन्य चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई।आतंकियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 121 और 124A के तहत दोषी ठहराया गया।धमाकों में शामिल अन्य आतंकियों की तलाश जारी है।सुप्रीम कोर्ट में इस सजा को चुनौती दी गई, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

हमले का प्रभाव

1. सुरक्षा व्यवस्था में सुधार

इस घटना के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियों को और मजबूत बनाया गया।CCTV कैमरों की संख्या बढ़ाई गई और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई गई। खुफिया एजेंसियों (IB, NIA, ATS) के बीच बेहतर तालमेल बनाने के निर्देश दिए गए।

2. आम जनता में डर और सतर्कता

इस हमले के बाद लोग भीड़भाड़ वाले स्थानों में अधिक सतर्क रहने लगे।मेट्रो, रेलवे स्टेशनों, बस स्टॉप और सिनेमा हॉल में सुरक्षा जांच बढ़ाई गई।

3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई और इस हमले की निंदा की।भारत और अन्य देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ा।

21 फरवरी 2013 का हैदराबाद बम धमाका भारत के इतिहास में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था। इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया और देश को आतंकवाद के खिलाफ और सतर्क होने की जरूरत बताई।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस हमले के बाद कड़े कदम उठाए, जिससे कई आतंकी गतिविधियों को रोका जा सका।यह घटना हमें सतर्क रहने और सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करने की सीख देती है।आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आम जनता, पुलिस, और सरकार सभी की भूमिका अहम है।

भारत जैसे विविधता वाले देश में आतंकवाद को हराने के लिए मजबूत कानून, खुफिया तंत्र, और जागरूकता जरूरी है। हमें इस हमले को याद रखते हुए ऐसे खतरों से बचाव के लिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

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