Four Stars of Destiny: 16 जून को कभी नहीं भूल पाएंगे जिनपिंग, लद्दाख में भारत के पलटवार से कांप गई थी चीनी सेना, पूर्व आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने किया खुलासा

Four Stars of Destiny: भारतीय सेना ने पलटवार करते हुए उसे दिखा दिया कि बस! अब बहुत हो चुका। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 16 जून की यह तारीख कभी नहीं भूल पाएंगे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-18 10:15 IST

former Army Chief General Naravane  (photo: social media )

Four Stars of Destiny: पूर्व आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चीन को भारत की ओर से दिए गए आक्रामक जवाब की याद दिलाई है। जनरल नरवणे ने अपने संस्मरण ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में कहा कि चीन हमेशा अपने छोटे पड़ोसियों को डराने-धमकाने के लिए आक्रामक कूटनीति और उकसावे वाली रणनीति अपनाता रहा है मगर 16 जून 2020 को भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारतीय सेना ने पलटवार करते हुए उसे दिखा दिया कि बस! अब बहुत हो चुका। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 16 जून की यह तारीख कभी नहीं भूल पाएंगे।

भारतीय सैनिकों का मारा जाना सबसे दुखद

जनरल नरवणे 31 दिसंबर, 2019 से 30 अप्रैल, 2022 तक सेना प्रमुख रहे। उनके कार्यकाल का अधिकतर समय विवादित सीमा पर चीन से उत्पन्न चुनौतियों और बल की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक सुधार उपाय लागू करने पर केंद्रित रहा।

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया’ की ओर से प्रकाशित संस्मरण ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 सैनिकों के जान गंवाने को याद करते हुए नरवणे ने कहा कि यह मेरे पूरे करियर के सबसे दुखद दिनों में से एक था। जनरल नरवणे का यह संस्मरण अगले महीने बाजार में आने वाला है।

भारतीय शूरवीरों ने चीनी सेना को सिखाया सबक

जनरल नरवणे ने अपने संस्मरण में लिखा है कि 16 जून को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जन्मदिन होता है और इस तारीख को वे कभी नहीं भूल पाएंगे। 16 जून 2020 को भारतीय सेवा ने चीन की सेना पीएलए को मुंहतोड़ जवाब दिया था। भारतीय शूरवीरों को उकसाने और लद्दाख में तैनात जवानों से भिड़ने वाले पीएलए के सैनिक बड़ी संख्या में मारे गए। दो दशक में पहली बार चीन और पीएलए को घातक पलटवार का सामना करना पड़ा था। भारत की ओर से सिखाए गए इस सबक को चीन की सेना हमेशा याद रखेगी।

CDS का पद न मिलने पर भी रखी अपनी बात

अपने संस्मरण में जनरल नरवणे ने सीडीएस का पद न मिलने पर भी अपनी बात रखी है। उन्होंने लिखा है कि जब मुझे सेना प्रमुख बनाया गया था तब भी मैंने सरकार की समझ पर सवाल नहीं उठाया था, तो इस मामले में ऐसा क्यों करता? उन्होंने कहा कि कभी-कभी मुझसे पूछा जाता है कि मुझे सीडीएस क्यों नहीं बनाया गया। मेरी प्रतिक्रिया हमेशा यही रही है कि जब मुझे सेना प्रमुख बनाया था तब भी मैंने सरकार की समझ पर सवाल नहीं उठाया था, तो अब क्यों उठाता? यह सरकार के अपने विवेक पर निर्भर करता है।

जनरल नरवणे ने पुस्तक के अंतिम अध्याय 'ओल्ड सोल्जर्स नेवर डाई' में भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस पद से रिटायर हो रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि आप किस प्रतिष्ठा के साथ रिटायर हो रहे हैं।

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