नई दिल्ली: रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग (114 किलोमीटर) देश का पहला ग्रीन ट्रेन कॉरीडोर बन गया है। इस रेलवे ट्रैक पर चलने वाली सभी ट्रेनों में बायोटॉयलेट फिट कर दिए गए हैं। रेलमंत्री सुरेश प्रभु रविवार (24 जुलाई) को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग के ग्रीन ट्रेन कॉरीडोर को हरी झंडी दिखाएंगे।
यह होगा फायदा
-ट्रेनों में बायोटॉयलेट लगने से रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग पर ट्रेनों से पटरी पर गिरने वाले मल-मूत्र से पूरी तरह से मुक्ति मिलेगी।
-रामेश्वरम-मनमदुरई रेलमार्ग पर 10 पैंसेजर ट्रेनें चलती हैं।
-इन सभी ट्रेनों में 286 डिब्बे हैं और सभी में बायोटॉयलेट लगा दिया गया है।
गंदगी से मिलेगी निजात
-रेल मंत्रालय ने रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को स्वच्छ रखने का काम प्रमुखता लिया।
-इसी सिलसिले में ट्रेनों में बायोटॉयलेट लगाने का काम शुरू किया गया था।
-इससे रेलवे ट्रैक पर मल-मूत्र गिरने से होने वाली गंदगी को रोका जा सकेगा।
-इससे टॉयलेट में पानी के इस्तेमाल की बर्बादी भी कम होगी।
साल 2019 तक सभी ट्रेनों में बायोटॉयलेट
-बीते 30 जून तक रेल मंत्रालय ने पैसेंजर डिब्बों में 40,750 बायोटॉयलेट फिट कर दिए हैं।
-रेलवे का लक्ष्य है कि सितंबर 2019 तक पूरे देश में सभी ट्रेनों में सिर्फ बायोटॉयलेट ही लगे होंगे।
-इस तरह से 2019 तक पूरे देश में रेलवे लाइनों पर गिरने वाले मल-मूत्र से देश को मुक्ति मिल जाएगी।