Indian Economy: महंगाई की मार और 13 अरब डॉलर का आउटफ्लो

Indian Economy: आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति असहज रूप से ऊंची बनी हुई है और मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-08-05 14:00 IST

Shaktikanta Das (photo: social media )

Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रही है जबकि भारत पिछले कुछ महीनों में 13.3 अरब डॉलर के पूंजी आउटफ्लो का सामना कर रहा है।

रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है अच्छी बात ये है कि वित्तीय क्षेत्र अच्छी तरह से पूंजीकृत है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्पिलओवर के खिलाफ रक्षा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी विकास अनुमान 7.2 प्रतिशत पर पहली तिमाही के साथ 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी में 4.1 प्रतिशत और चौथी में 4.0 प्रतिशत पर व्यापक रूप से संतुलित जोखिमों के साथ रखा गया है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध से जोखिम बने हुए हैं।

महंगाई बनी रहेगी

आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति असहज रूप से ऊंची बनी हुई है और मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि 2022-23 में मुद्रास्फीति का अनुमान 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है, दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत पर और चौथी में 5.8 प्रतिशत पर बने रहने का अनुमान है। ये भी तब होगा जब जोखिम समान रूप से संतुलित रहे, 2022 में एक सामान्य मानसून रहे और कच्चे तेल की औसत कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल रहे। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.0 प्रतिशत अनुमानित है।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति चरम पर है और इसमें नरमी आएगी, लेकिन फिलहाल ये अस्वीकार्य रूप से उच्च स्तर पर है। दास ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बना हुआ है और हम विनिमय दर में अतिरिक्त अस्थिरता से निपटेंगे। रेपो दरों में बढ़ोतरी के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि 50 बीपीएस की बढ़ोतरी नया सामान्य है और वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने हाल ही में अपनी संबंधित ब्याज दरों में 75 से 100 बीपीएस की वृद्धि की है।

चूंकि मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, इसीलिए मौद्रिक नीति समिति ने आज सर्वसम्मति से रेपो दरों को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर तत्काल प्रभाव से 5.4 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2013 के लिए 7.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि को बनाए रखा है जबकि वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि कच्चे तेल सहित कमोडिटी की कीमतें नरम हो गई हैं, इससे मुमकिन है कि मुद्रास्फीति पीक लेवल को पार कर नीचे की तरफ हो सकती है। उम्मीद है कि आरबीआई अपनी बाद की नीति बैठकों और मुद्रास्फीति के आंकड़ों के आधार पर अधिक डेटा संचालित होने में बहुत आक्रामक नहीं होगा।

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