चीन की घटिया हरकत: हमेशा से करता आ रहा ये काम, नहीं आ रहा बाज

लद्दाख की गलवान घाटी में हुये खूनी संघर्ष में कितने चीनी सैनिक मारे गए ये संख्या चीन खुद नहीं बता रहा है।

Update: 2020-06-18 06:52 GMT

नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में हुये खूनी संघर्ष में कितने चीनी सैनिक मारे गए ये संख्या चीन खुद नहीं बता रहा है। चीन ने बस इतना माना है कि दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। दरअसल, चीन अपनी सेना को पहुंचे नुकसान के बारे में बहुत गोपनीयता बरतता है। उसके कितने सैनिक हताहत हुये ये संख्या सार्वजनिक करने से पूर्व प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की मंजूरी लेनी होती है। शी जिनपिंग ही चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध में चीन के कितने सैनिक मारे गए इसकी संख्या का खुलासा चीन ने 1994 में किया था और वह संख्या भी उसने अपने हिसाब से बताई।

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चीन ने अपने हताहत सैनिकों के बारे में इसलिए भी खुलासा नहीं किया है क्योंकि चीन को अमेरिका के साथ आज की बैठक की चिंता थी। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ और चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जीशी के बीच हवाई में महत्वपूर्ण बैठक हुई है। इस बैठक से पहले चीन भारत से हुई झड़प के तथ्य एक रणनीति के तहत छुपाए हुये है।

इस पर एक्स्पर्ट्स ने कहा

एक्स्पर्ट्स का ये भी कहना है कि चीन गलवान घाटी की घटना को लेकर इसलिए बहुत सतर्क है क्योंकि इसी जगह से 1962 के युद्ध की चिंगारी भड़की थी। मौके की नज़ाकत देखते हुए चीन में भी राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काई जा रहीं हैं। चीन के सैन्य और राजनीतिक विभागों के सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म्स पर जनभावनाएं उकसाने का काम जोरों से किया जा रहा है। इसकी रणनीति के तहत चीन ने सैन्य पूर्वाभ्यास भी शुरू किया है।

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एक्स्पर्ट्स का कहना है कि दोनों देश तनाव घटाने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन चीन की जमीन हड़पने की पुरानी आदत और अपनी ताकत दिखाने की प्रवृत्ति क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए बेहद खतरनाक है। चीन बहुत तेजी से रंग बदलने में माहिर रहा है। उसने अपनी रणनीति ही बदली है, उद्देश्य नहीं। चीन के अंदरूनी हालात यही बताते हैं।

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