IRCTC ने खत्म की सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी, कहा- अब इनकी जरूरत नहीं

IRCTC ने अपने 500 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। आईआरसीटीसी ने बताया कि मौजूदा हालातों में इन कर्मचारियों की विभाग को जरूरत नहीं है।

Update: 2020-06-30 06:33 GMT

लखनऊ: कोरोना संकट के बीच आई मंदी का असर अब आइआरसीटीसी पर भी नजर आने लगा है। दरअसल, भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) ने अपने 500 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इस कदम को लेकर आईआरसीटीसी ने बताया कि मौजूदा हालातों में इन कर्मचारियों की विभाग को जरूरत नहीं हैं।

रेलवे ने 560 सुपरवाइजरों की नौकरी की खत्म

कोरोना वायरस के कारण कई कम्पनी या कार्य क्षेत्रों का काम प्रभावित हुआ। जिसके चलते लाखों लोगों की नौकरियां और व्यापार ठप्प हो गए। वहीं IRCTC ने भी अब अपने करीब 560 कर्मचारियों की सेवाओं को रद्द करने का फैसला लिया है। ये कर्मचारी निगम में सुपरवाइजरों (कॉन्ट्रेक्ट पर) के पद पर काम कर रहे थे।

रेलवे की कैटरिंग और पर्यटन का काम देखते थे ये कर्मचारी

बता दें कि IRCTC ने साल 2018 में इन 560 सुपरवाइजरों को रेलगाड़ियों में ठेकेदारों द्वारा परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिए नियुक्त किया था। इनका काम ट्रेनों के खानपान वाले कोच के संचालन की निगरानी करना था।

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ये सुपरवाइजर इस बात को सुनिश्चित करते थे कि ट्रेन के खाने को तैयार करने में गुणवत्ता हो, यात्रियों की शिकायत न मिले और अगर शिकायत आये तो उसका समाधार भी इन्हे ही करना होता था। इसके अलावा खाने की कीमतों में किसी तरह की कोई धांधली न हो इसपर भी ये निगरानी रखते थे।

IRCTC ने कहा-अभी इन कर्मचारियों की आवश्यता नहीं

वहीं कोरोना काल में पहले लॉकडाउन के कारण ट्रेनों का संचालन रुक गया तो वहीं अब सीमित संख्या में ट्रेनों का संचालन हो रहा है। ऐसे में आईआरसीटीसी ने इनकी सेवाओं को रद्द करते हुए हवाला दिया कि अभी इन कर्मचारियों की आवश्यता नहीं है।

पत्र जारी कर सभी आंचलिक कार्यालयों को दी फैसले की सूचना

इसके लिए आईआरसीटीसी ने 25 जून को एक पत्र जारी कर अपने सभी आंचलिक कार्यालयों को इस फैसले की सूचना दी। पत्र में लिखा गया कि वर्तमान परिस्थितियों में इन कर्मचारियों की कोई जरूरत नहीं है। इन्हें एक महीने का नोटिस देकर इनका कांट्रैक्ट समाप्त कर दिया जाए।

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मामले पर पुनर्विचार कर रहा IRCTC

मामले में आईआरसीटीसी के प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने बताया, 'हम मामले पर पुनर्विचार कर रहे हैं। हम विचार कर रहे हैं कि क्या इस निर्णय पर पुनर्विचार हो सकता है। इस संबंध में कुछ कदम उठाए जाएंगे।' वहीं इन कर्मचारियों ने मामले में रेल मंत्री पीयूष गोयल से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है और मदद मांगी है।

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