Iskon: अब गीता पर भी विवाद, इस्कॉन की पुस्तक में भगवान शिव व माँ दुर्गा के भक्तों को मूर्ख बताने का आरोप

Iskon: अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस्कॉन मंदिर द्वारा छपाई गई गीता के कुछ अंशों का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि इसमें भगवान शिव, पार्वती व दुर्गा जी को भगवान मानने वालों को मूर्ख कहा गया है। वो केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर इसकी शिकायत करेंगे।

Written By :  Dhanish Srivastava
Update:2023-02-06 17:46 IST

Gita Controversy ISKCON book

Iskon: सोशल मीडिया पर एक वायरल मैसेज में आरोप लगाया जा रहा है कि श्रील प्रभुपाद नाम से इस्कॉन मंदिर में जो गीता बांटी जाती है, उसमें भगवान शिव व दुर्गा जी के भक्तों को मूर्ख बताया गया है। वायरल मैसेज के साथ पुस्तक के उन पेजों की तस्वीर भेजी जा रही है, जिनमें यह बात लिखी बताई जा रही है। इसमें श्रीमद्भगवतम् के श्लोक संख्या 3:15:25 और गीता यथारूप के श्लोक संख्या 2:62 का जिक्र किया गया है। हिंदू महासभा की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि 1972 में श्रील प्रभुपाद द्वारा लिखी गई गीता यथारूप और इस्कॉन द्वारा श्रील प्रभुपाद के नाम से प्रस्तुत की जाने वाली भगवत गीता में अंतर है। इसमें संस्कृत के हिंदी अनुवाद के साथ छेड़छाड़ की गई है।

सीएम और पीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग

हिंदू महासभा का कहना है कि इस्कॉन वाले भ्रामक तथ्यों वाली गीता का वितरण करा रहे हैं। इसलिए सनातन धर्मावलंबियों को गीता प्रेस की गीता को ही सही मानना चाहिए। प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने कहा कि वो राज्य व केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मामले की जांच व कार्रवाई की मांग करेंगे। सुनवाई नहीं हुई तो विरोध-प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ने पर अदालत की शरण में जाएंगे।

इस्कॉन मंदिर ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष ने कहा- बेमतलब की बातें कर रहे अज्ञानी लोग

धार्मिक पुस्तक से भ्रामक संदेश देने के आरोपों को मंदिर प्रशासन ने सिरे से खारिज किया है। लखनऊ के गोल्फ सिटी इलाके में स्थित इस्कॉन मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम दास ने न्यूजट्रैक से बातचीत में कहा कि 'ज्ञान को समझने के लिए या तो व्यक्ति स्वयं ज्ञानी हो या उसे गुरू की शरण में जाने की जरूरत होती है।' उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वालों को पूरी धार्मिक पुस्तक पढ़कर उसके भावार्थ को समझने की जरूरत है, उनकी बातों का कोई आधार नहीं है। बिना बात को समझे ये वैसा ही विवाद खड़ा करने की कोशिश है, जैसे रामचरितमानस पर शूद्र, पशु, नारी के अधिकारी की बात को समझे बिना इसपर अनर्गल बयानबाजी हो रही है। उन्होंने कहा कि उनकी धार्मिक पुस्तक पर सवाल उठाने का काम कुछ लोग सिर्फ सस्ती लोकप्रियता के लिए कर रहे हैं।

Tags:    

Similar News