इस्लाम में महिलाओं के मस्जिद जाने पर रोक नहीं : दंपति

मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को प्रवेश देने की इजाजत देने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाले मुस्लिम दंपति ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई का फैसला किया है।

Update:2019-04-16 18:28 IST

पुणे: मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को प्रवेश देने की इजाजत देने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाले मुस्लिम दंपति ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई का फैसला किया है।

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न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने पुणे निवासी दंपति जुबैर और यासमीन पीरजादे की याचिका पर मंगलवार को केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

जुबैर ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा, ‘‘ यह सब चार साल पहले शुरू हुआ। हमने अपने मौहल्ले की मस्जिद में महिलाओं को प्रवेश देने की इजाजत मांगने के लिए आवेदन किया, क्योंकि हम विभिन्न मुद्दों पर मुस्लिम महिलाओं को जागरूक करना चाहते थे।’’

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मस्जिद ने हमारा अनुरोध खारिज करते हुए कहा कि मस्जिद में महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं है।

पेशे से रियल स्टेट डीलर जुबैर ने कहा, ‘‘ इसके बाद से हमने यह देखना शुरू किया कि इस बारे में मज़हब क्या कहता है और पाया कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिद में प्रवेश करने से महिलाओं को रोकता है।’’

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उन्होंने कहा कि कई मस्जिदों ने हमारी गुजारिश को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया।

जुबैर ने कहा, ‘‘ हमने उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की। हमें खुशी है कि शीर्ष अदालत ने केंद्र और अन्य को आज नोटिस जारी किए।’’

उन्होंने कहा कि सभी समुदाय को लैंगिक समानता के लिए इस मामले में मदद करनी चाहिए।

दंपति ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से नमाज़ अदा करने के लिए महिलाओं के मस्जिद जाने पर लगी रोक को ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ घोषित करने की मांग की।

(भाषा)

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