ISRO XPoSat Launch: 2024 में इसरो की धमाकेदार शुरुआत, ब्लैक होल की स्टडी के लिए उपग्रह भेजा

ISRO XPoSat Launch: ब्लैक होल जैसी खगोलीय वस्तुओं की जानकारी देने वाला उपग्रह 1 जनवरी को सुबह 9:10 बजे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-01-01 05:25 GMT

ISRO XPoSat Launch  (photo: social media )

ISRO XPoSat Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2024 के अपने पहले अंतरिक्ष मिशन में आज एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसैट) लॉन्च किया। बीते साल अक्टूबर में "गगनयान परीक्षण वाहन डी1" मिशन की सफलता के बाद इसरो ने नए साल की धमाकेदार शुरुआत की है।

ब्लैक होल जैसी खगोलीय वस्तुओं की जानकारी देने वाला उपग्रह 1 जनवरी को सुबह 9:10 बजे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के जरिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। पीएसएलवी-सी58 रॉकेट, अपने 60वें मिशन में, प्राथमिक पेलोड एक्सपोसैट और 10 अन्य उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में तैनात करेगा।

पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह

इसरो का कहना है कि एक्सपोसैट आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान करने वाला संगठन का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है।इसरो ने कहा कि जबकि भारत में इमेजिंग और टाइम डोमेन अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अंतरिक्ष-आधारित एक्स-रे खगोल विज्ञान स्थापित किया गया है, आज का मिशन वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक प्रमुख वैल्यूएडिशन का प्रतीक है।

क्या है एक्सपोसैट

एक्सपोसैट का प्राथमिक पेलोड "पोलिक्स" (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण) है जिसे रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा पोलारिमेट्री मापदंडों को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया था, और एक्सपेक्ट (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) यू आर राव सैटेलाइट सेंटर, बंगलुरु द्वारा बनाया गया था। इस मिशन का जीवन लगभग 5 वर्ष है।

मिशन के लक्ष्य क्या हैं?

पीएसएलवी-सी58 मिशन के उद्देश्यों में लगभग 50 संभावित ब्रह्मांडीय स्रोतों से निकलने वाले ऊर्जा बैंड 8-30 केवी में एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापना शामिल है, ताकि ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों के दीर्घकालिक वर्णक्रमीय और अस्थायी अध्ययन किए जा सकें। एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र और ज्यामिति की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक उपकरण के रूप में कार्य करता है।

खगोल विज्ञान समुदाय को होगा लाभ

ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे और सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक जैसी आकाशीय वस्तुओं पर एक्स-रे ध्रुवीकरण माप से प्राप्त अंतर्दृष्टि, उनके भौतिकी की समझ में उल्लेखनीय सुधार करने की क्षमता रखती है।

इसरो की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में आज का प्रक्षेपण काफी महत्व रखता है। एस्ट्रोफिजिसिस्ट समुदाय के लिए खगोलीय जानकारियां बेहद महत्वपूर्ण होती हैं।

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