सेंट फ्रांसिस के पूर्व छात्र ने लिखी स्पोर्टसः ए वे आॅफ लाइफ, JLF में मचाई धूम

Update:2018-01-28 20:42 IST

जयपुर : लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के खिलाड़ी व सेंट फ्रांसिस काॅलेज में अपनी पढ़ाई करने वाले युवा शोधकर्ता एवं लेखक कनिष्क पाण्डेय की खेलकूद के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और शोध पर आधारित नव प्रकाषित पुस्तक स्पोर्टसः ए वे आॅफ लाइफ पर रविवार को गुलाबी नगरी जयपुर में आयोजित साहित्य के महाकुंभ जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में श्रोताओं खचाखच भरे दरबार हाॅल पर लंबी चर्चा की गई।

इस चर्चा में जगदीश चन्द्रा सीईओ जी रीजनल चैनल एवं खेल जगत के प्रख्यात काॅमन्ट्रेटर और खेल विषेषज्ञ नोवी कपाडिया सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

पुस्तक के लेखक कनिष्क का मानना है कि पुराने जमाने की कहावत खेलोगे, कूदोगे होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे, बनोगे नवाब की धारणा को आज के युवाओं ने बदल दिया है। अब खेलकूद कर भी नवाब बना जा सकता है। लेखक ने पुस्तक में अनेक प्रसंगो से इस बात को सिद्ध भी किया है।

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ज्ञातव्य है कि यह पुस्तक कनिष्क पाण्डेय द्वारा तीन वर्ष तक किये गये शोध पर आधारित है। मूल शोध अंग्रेजी भाषा में था जिसका विमोचन प्रख्यात बेडमिन्टन खिलाड़ी पुलेला गोपीचन्द और खेलरत्न देवेन्द्र झांझडिया द्वारा दिल्ली के इण्डिया इन्टरनेशनल सेन्टर में किया गया था। देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं यूजीसी के चैयरमैन सहित देष की प्रतिष्ठित 22 विश्वविद्यालयों द्वारा उत्कृष्ट बताये गये इस शोध में खेल मूल्यों के माध्यम से प्रशासनिक, राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान खोजने के साथ ही खेलों के माध्यम से राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की संकल्पना की विस्तार से व्याख्या की गई है।

लेखक ने बताया कि उनके शोध को चिकित्सा विज्ञान के विषेषज्ञ और विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्पोर्ट्स एक्सपर्ट्स एक मेडिकल थैरेपी के रूप में इस्तेमाल करनें का अध्ययन कर रहे हैं।

पुस्तक के लेखक कनिष्क का मानना है कि वर्तमान परिवेश में युवा पीढ़ी को खेल से जोड़ना आवश्यक है। इसके लिए खेल को देश में एक आन्दोलन के रूप में चलाना होगा। समाज के हर वर्ग के युवा को उसकी रूचि के अनुरूप खेल से जोड़ना होगा। साथ ही भूतपूर्व खिलाड़ियों को खेल मूल्यों के जरिये समाज के निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी पवित्रता से बनाऐ रखते हुए खेल की दुनिया में महात्मा गांधी की भूमिका निभानी चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान लेखक ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने शोध को पुस्तक का रूप देने के साथ ही उसके निष्कर्ष को धरातल पर लाने के लिए खेल साक्षरता मिशन की शुरूआत भी कर दी है जिसमें उनके साथ देश के पच्चीस से अधिक लब्धप्रतिष्ठित खिलाडी मिशन मैसेन्जर के रूप में जुड़े है। उन्होंने बच्चों में बाल्यकाल से ही खेल के बीज प्रस्फुटित करने के उद्देश्य से खेलों पर आधारित अनूठी वर्णमाला की भी रचना की है जो हिन्दी में खेल प्रवेषिका और अंग्रेजी में नो स्पोर्टस के नाम से प्रकाशित की जा रही है। उनके द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में इन पुस्तकों का वितरण भी करवाया जा रहा है, जिन्हे पाकर बच्चें अत्यन्त उत्साहित हो रहे है और उनकी खेलों में भागीदारी भी बढ़ रही है।

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