Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर में कौन सा दल रहेगा किस पर भारी, क्या लोकसभा चुनाव का दिखेगा असर
Jammu Kashmir Election 2024 Update: जम्मूकश्मीर के विधानसभा चुनाव में इस बार सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि कौन किस पर भारी पड़ता है।
Jammu Kashmir Election 2024 Update: जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव के प्रति भी मतदाताओं में काफी उत्साह दिख रहा है। बुधवार को 24 सीटों पर पहले चरण की वोटिंग के दौरान कई पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें दिखीं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी जम्मू-कश्मीर के लोगों से अधिक से अधिक संख्या में मतदान की अपील की है। जम्मूकश्मीर के विधानसभा चुनाव में इस बार सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि कौन किस पर भारी पड़ता है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नेशनल कान्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर रखा है। दोनों दलों ने गठबंधन से पहले पीडीपी के साथ कोई चर्चा नहीं की और इसलिए महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरी है। भाजपा भी अकेले इन दलों को चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई है। इस बीच बारामूला से पिछला लोकसभा चुनाव जीतने वाले राशिद इंजीनियर की आवामी इत्तेहाद पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन कर लिया है। यह गठबंधन उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दोनों के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है।
नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है और इसे सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती और नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला दोनों को हार का सामना करना पड़ा था और इसलिए दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
भाजपा को मजबूत चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने नेशनल कान्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर लिया है। इस गठबंधन के तहत दोनों दलों ने आपस में सीटों का बंटवारा कर रखा है। नेशनल कान्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस ने 32 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। पांच सीटों पर दोनों दलों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी और इस कारण इन सीटों पर दोनों दलों के बीच फ्रेंडली फाइट हो रही है।
महबूबा मुफ्ती को छोड़ दिया अकेले
कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद उमर अब्दुल्ला ने बयान दिया था कि कोई अन्य दल भी गठबंधन में शामिल होना चाहता हो तो उसके लिए हमारे दरवाजे खुले हुए हैं। उनके इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा कि गठबंधन से पूर्व उनसे कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया और इस कारण ले अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगी।
पीडीपी के लिए मतदान का पहला चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पहले चरण की 24 में से 21 सीटों पर पीडीपी ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इन प्रत्याशियों में महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी शामिल हैं।
राशिद इंजीनियर ने बढ़ाई महबूबा और उमर की टेंशन
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में इस बार राशिद इंजीनियर ने नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दोनों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। अंतरिम जमानत पाने के बाद तिहाड़ जेल से बाहर निकले राशिद इंजीनियर कश्मीर घाटी में धुआंधार चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाई थी। तिहाड़ जेल में बंद होने के बावजूद उन्होंने बारामूला लोकसभा क्षेत्र में नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भारी मतों से हराया था। उन्होंने बारामूला लोकसभा क्षेत्र की 15 में से 12 सीटों पर बढ़त हासिल की थी।
इस बार राशिद इंजीनियर की अवामी इत्तेहाद पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन कर लिया है। राशिद इंजीनियर की पार्टी 30 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी है जबकि जमात-ए-इस्लामी को 10 सीटें दी गई हैं। इस तरह दोनों दलों ने 40 सीटों पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के लिए टेंशन पैदा कर दी है।
नेशनल कान्फ्रेंस की ओर से राशिद पर भाजपा समर्थित होने का आरोप लगाया जा रहा है जबकि राशिद इसे पूरी तरह खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे कश्मीर के लोगों की मूल समस्याओं को सुलझाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।
भाजपा भी अपनी ताकत दिखाने को तैयार
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद हो रहे पहले विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए भाजपा भी बेचैन है। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में जम्मू संभाग की दो सीटों पर जीत हासिल की थी और इस बार भी जम्मू संभाग में भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में बहुकोणीय मुकाबला होने का लाभ भी भाजपा को मिल सकता है।
भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति का माहौल बना है और पत्थरबाजी की घटनाएं कम हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने घाटी में आतंकवाद को पूरी तरह कुचल देने का दावा किया है।जानकारों का मानना है कि यदि राशिद के असर से कश्मीर घाटी में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नुकसान पहुंचा तो भाजपा राज्य में सरकार बनाने के करीब पहुंच सकती है।
लोकसभा चुनाव का क्या निकला था नतीजा
यदि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखा जाए तो नेशनल कान्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर की दो सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि जम्मू संभाग की दोनों सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। बारामूला लोकसभा क्षेत्र में राशिद इंजीनियर ने जीत हासिल करते हुए दोनों दलों को पीछे छोड़ दिया था। नेशनल कान्फ्रेंस ने श्रीनगर और अनंतनाग-राजौरी की लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को हार का सामना करना पड़ा था। वैसे विधानसभा चुनाव में नजारा बदला हुआ है और सभी दल अपनी-अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दिल्ली की सत्ता पर मोदी सरकार के फिर काबिज होने के कारण अनुच्छेद 370 की बहाली संभव नहीं दिख रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान होना है और ऐसे में आने वाले दिनों में भी घाटी का सियासी माहौल गरम बना रहेगा।