घाटी में अलगाववादी प्लानिंग: 2 घंटे चली बैठक, फारुख अब्दुल्ला ने किया बड़ा एलान

कश्मीरी नेताओं के बीच आज फारुख अबदुल्ला के आवास पर गुपकार समझौते पर बैठक हुई, जो करीब दो घंटे चली। इस अहम बैठक में महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला शामिल हुए।

Update:2020-10-15 18:41 IST
अब कोई भी भारतीय जम्मू-कश्मीर में फैक्टरी, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है। उसे स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती को 14 महीने बाद नजरबंदी से रिहा किया गया तो एक बार फिर अलगाववाद का मुद्दा उठा। आज कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती के साथ 6 दलों के नेताओं की अहम बैठक हुई। इस दौरान कश्मीरी नेताओं ने गुपकार समझौते पर चर्चा की। बता दें नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला उनके घर कल ही पहुँच गए थे।

गुपकार बैठक खत्म, फारुख अब्दुल्ला ने कहा-फिर होगी मीटिंग

कश्मीरी नेताओं के बीच आज फारुख अबदुल्ला के आवास पर गुपकार समझौते पर बैठक हुई, जो करीब दो घंटे चली। इस अहम बैठक में महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला शामिल हुए। फारूख अब्दुल्ला ने एलान किया कि सभी दलों ने मिल कर इस समझते का नांम गुपकार से बदलकर 'पीपल एलायंस गुपकार समझौता' करने पर आम सहमति जताई है।इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को लेकर उनकी लड़ाई जारी रखने की बात करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि आगे की रणनीति के लिए फिर से बैठक होगी।

जम्मू-कश्मीर के लोगों को वापस मिले उनका विशेष दर्जा

वहीं महबूबा मुफ़्ती के महीनों नजरबंदी किये जाने पर नराजगी जताते हुए कहा कि ये गैर क़ानूनी था। अभी भी कई लोग जेल में हैं जिन्हें रिहा किया जाना चाहिए। फारुख अब्दुल्ला ने मांग कि क़ी जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका विशेष दर्जा वापस मिले।

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गुपकार समझौता मीटिंग में शामिल रहे ये दल

बता दें कि आर्टिकल 370 को लेकर हुई नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूख अब्दुल्ला के घर चल रही बैठक में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।

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क्या है गुपकार समझौता

दरअसल, पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A हटाए जाने को लेकर कश्मीरी नेताओं ने एक साझा बयान जारी किया था।जिसमे कहा गया कि अनुच्छेद 35A और 370 को खत्म करना या बदलना असंवैधानिक है। राज्य का बंटवारा कश्मीर और लद्दाख के लोगों के खिलाफ ज्यादती है और इसे ही बाद में गुपकार समझौता कहा गया।

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