Jharkhand CM Hemant Soren Arrested: क्या है झारखंड का जमीन रैकेट जिसमें गिरफ्तार हुए हैं हेमंत सोरेन

Jharkhand CM Hemant Soren Arrested: हेमन्त सोरेन 600 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि भूमि घोटाले में सरकारी जमीन का स्वामित्व बदलने और उसे बिल्डरों को बेचने का एक बड़ा रैकेट शामिल है। इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें 2011 बैच के आईएएस अधिकारी छवि रंजन भी शामिल हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-02-01 13:43 GMT

क्या है झारखंड का जमीन रैकेट जिसमें गिरफ्तार हुए हैं हेमंत सोरेन: Photo- Social Media

Jharkhand CM Hemant Soren Arrested: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया है। सोरेन ने इस घटनाक्रम के बीच अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है। लेकिन ये भूमि घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है क्या? जानते हैं इसके बारे में।

क्या है घोटाला

ईडी की जांच एक बेहद सॉफिस्टिकेटेड ऑपरेशन की ओर इशारा करती है जिसमें दलालों और व्यापारियों का एक नेटवर्क शामिल है। ये लोग महंगी जमीनों पर कब्जे के लिए फर्जी दस्तावेज बनाते और रिकॉर्ड में हेरफेर करते थे। आरोप है कि इस नेटवर्क के केंद्र में हेमंत सोरेन हैं जो धोखाधड़ी के जरिये से अवैध रूप से प्राप्त भूमि के मुख्य लाभार्थी थे।

हेमंत सोरेन पर क्या हैं आरोप

हेमन्त सोरेन 600 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि भूमि घोटाले में सरकारी जमीन का स्वामित्व बदलने और उसे बिल्डरों को बेचने का एक बड़ा रैकेट शामिल है। इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें 2011 बैच के आईएएस अधिकारी छवि रंजन भी शामिल हैं। छवि रंजन राज्य समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के डिप्टी कमिश्नर भी रह चुके हैं।

इस रैकेट का प्रमुख मोहरा अमित अग्रवाल है जो कोलकाता का एक बिजनेसमैन है। उसे पिछले साल ईडी ने गिरफ्तार किया था। अग्रवाल पर सोरेन सहित कई राजनेताओं के लिए बेइमानी से मिली रकम मैनेज करने का संदेह है।

रांची से शुरू हुआ मामला

जमीन खरीद में कथित गड़बड़ियों से जुड़ा एक मामला करीब डेढ़ साल पहले सामने आया था। इसी में एक के बाद एक केस जुड़ते चले गए शुरुआत जून 2022 में हुई जब रांची के बरियातू थाने में रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने एक रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसमें प्रदीप बागची नाम के व्यक्ति को आरोपी बनाया गया। आरोप लगाया गया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी दस्तावेजों से सेना की जमीन को अपने कब्जे में ले लिया था। ये जमीन करीब 4.5 एकड़ की है। जांच में पता चला कि ये जमीन बीएम लक्ष्मण राव (दिवंगत) की थी, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था।

इस मामले में पहली गिरफ्तारी अप्रैल 2023 में हुई थी। जब ईडी ने प्रदीप बागची समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया। उसी दिन कई जगहों पर छापेमारी भी की गई। इसमें आईइएस अधिकारी छवि रंजन के रांची और जमशेदपुर के आवास पर भी तलाशी ली गई। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें प्रदीप के अलावा - अफशार अली, इम्तियाज अहमद, सद्दाम हुसैन, तहला खान, भानु प्रताप प्रसाद और फैय्याज खान थे। भानु प्रताप बड़गाई इलाके में रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर थे और अली सरकारी अस्पताल में काम कर रहे थे। बाकी सभी के बारे में जांच एजेंसी ने बताया कि वे जमीन की दलाली के काम में लगे थे।

आईएएस की गिरफ्तारी

पिछले साल मई में ईडी ने आईइएस छवि रंजन को भी गिरफ्तार कर लिया। वह 2011 बैच के अधिकारी हैं। इस जमीन की जब खरीद की गई तब रंजन रांची के उपायुक्त थे। रंजन पर आरोप लगा कि उन्होंने जमीन की अवैध खरीद और बिक्री में मदद की थी।

बताया जाता है कि इस 4.5 एकड़ जमीन को बेचने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गए। इसमें भू माफिया, बिचौलिए और नौकरशाह तक मिले हुए थे। कागजात में जमीन को 1932 का बताया गया और लिखा गया कि ये जमीन प्रफुल्ल बागची (प्रदीप बागची के पिता) ने सरकार से खरीदी थी। कागजों के मुताबिक 2021 में प्रदीप ने इस जमीन को कोलकाता की एक कंपनी जगतबंधु टी एस्टेट लिमिटेड को बेच दी थी। इस कंपनी के डायरेक्टर दिलीप घोष हैं।

लेकिन जांच में पता चला कि जमीन असल में अमित अग्रवाल नाम के व्यक्ति को बेची गई। अमित को कथित रूप से हेमंत सोरेन का करीबी माना जा रहा है। पिछले साल जून में अमित और दिलीप को गिरफ्तार किया गया था।

20 करोड़ 75 लाख की जमीन

पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तारी के दौरान ईडी के एक अधिकारी ने बताया था कि इस जमीन की सरकारी कीमत 20.75 करोड़ थी। लेकिन इसे सिर्फ 7 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। इस सात करोड़ में प्रदीप बागची को सिर्फ 25 लाख रुपये दिए गए। बाकी के पैसे चेक के जरिये जगतबंधु टी स्टेट लिमिटेड को दिये गए। बाकी भुगतान इस तरीके से इसलिए किये गए ताकि जमीन की खरीद-बिक्री सही लगे।

हेमंत सोरेन का नाम कैसे आया?

रिपोर्ट के मुताबिक, फर्जीवाड़े के इसी तरीके की कई और जमीनों की डील की गई। पुराने दस्तावेजों से असली मालिकों के नाम को मिटाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता था। जांच में पता चला कि रजिस्ट्रार ऑफिस के सरकारी अधिकारी इसमें मदद करते थे। ईडी के अधिकारियों ने आरोपियों के पास से फर्जी सरकारी मोहर, स्टाम्प पेपर, रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट्स, फर्जी लैंड डीड भी बरामद किये। ईडी की पूछताछ में रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर भानू प्रताप ने हेमंत सोरेन का नाम लिया था। यहीं से सोरेन का नाम इस धन्धे से जोड़ा गया।

हेमंत सोरेन झारखंड के ऐसे तीसरे मुख्यमंत्री हैं जो गिरफ्तार हुए हैं। इससे पहले हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन और मधु कोड़ा भी गिरफ्तार हो चुके हैं। मधु कोड़ा आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार हुए थे। शिबू सोरेन को उनके निजी सचिव के अपहरण और हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में दिल्ली की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन सबूतों की कमी के कारण उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।

Tags:    

Similar News