भोपाल गैस त्रासदी: केस की सुनवाई में शामिल इस जज ने उठाया बड़ा कदम
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस रविंद्र भट ने मंगलवार को भोपाल हादसा मामले पर चल रही सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। बता दें कि भोपाल गैस कांड में 7,844....
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस रविंद्र भट ने मंगलवार को भोपाल हादसा मामले पर चल रही सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। बता दें कि भोपाल गैस कांड में 7,844 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को सुनवाई की।
ये भी पढ़ें- युवा आक्रोश रैली में बोले राहुल- एक करोड़ युवा बेरोजगार, मोदी सरकार ने तोड़े सपने
सरकार की ओर से अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) को खरीदने वाली केमिकल्स से मुआवजे की मांग की है। यह मुआवजा 1984 में हुए हादसे के पीड़ितों के लिए मांगी जा रही है।
जस्टिस एस ए बोबडे मामले की सुनवाई के लिए पीठ का गठन देखेंगे
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने सुनवाई को बुधवार तक स्थगित कर दिया और कहा कि चीफ जस्टिस एस ए बोबडे मामले की सुनवाई के लिए पीठ का गठन देखेंगे।
उन्होंने कहा, ‘हम आज इस मामले को नहीं लेंगे। हम चीफ जस्टिस के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।’ बता दें कि इस बेंच में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, विनीत शरण, एम आर शाह और भट हैं। अतिरिक्त मुआवजा राशि के भुगतान हेतु सुप्रीम कोर्ट को यूनियन कार्बाइड व अन्य कंपनियों को निर्देश देने का सरकार ने अनुरोध किया है।
जहरीले गैस के चंगुल में तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी
1989 में यूनियन कार्बाइड ने 47 करोड़ डॉलर (लगभग 750 करोड़ रुपये) के मुआवजे का भुगतान किया था। अब यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल्स ने अपने अधिकार में ले लिया है।
उल्लेखनीय है कि 1984 के 2-3 दिसंबर की रात को यूनियन कार्बाइड की भोपाल स्थित फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआइसी) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इस जहरीले गैस के चंगुल में तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
यूनियन कार्बाइड के सात अधिकारियों को दो साल की कैद की सुनाई गई थी
इसके बाद से ही पीड़ितों व सरकार की ओर से उचित मुआवजे और सही इलाज के लिए जंग का सिलसिला शुरू हो गया। वर्ष 2010 के दिसंबर में केंद्र सरकार की ओर से मुआवजा राशि बढ़ाने को लेकर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई। इसी साल जून में भोपाल कोर्ट की ओर से यूनियन कार्बाइड के सात अधिकारियों को दो साल की कैद की सुनाई गई थी।