Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर भी नहीं झुके जस्टिस शेखर यादव, CJI को भेजा जवाब-कोई गलती नहीं की, अपने बयान पर कायम

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस टिप्पणी के लिए जस्टिस शेखर यादव को तलब किया था।;

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2025-01-17 12:21 IST

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Supreme Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव मुसलमानों को निशाना बनाने वाली अपनी टिप्पणी पर अभी भी कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस टिप्पणी के लिए जस्टिस शेखर यादव को तलब किया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली से लेटेस्ट अपडेट मांगी थी।

इस पर जस्टिस भंसाली ने जस्टिस से शेखर यादव से जवाब मांगा था। जस्टिस शेखर यादव ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लिखे अपने जवाब में अपने बयान पर कायम रहने की बात कही है। अपने बयान में उन्होंने लिखा है कि मैंने कोई गलती नहीं की है और मेरे बयान से न्यायिक आचारसंहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।

न्यायिक आचरण के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं

जानकार सूत्रों का कहना है कि जस्टिस शेखर यादव की ओर से दिए गए जवाब में कानून के एक छात्र और एक रिटायर आईपीएस अधिकारी की ओर से उनकी टिप्पणी के खिलाफ की गई शिकायत का जिक्र किया गया है। जस्टिस यादव ने अपने जवाब में कहा है कि उनका भाषण कुछ स्वार्थी तत्वों की ओर से गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। जस्टिस यादव ने कहा कि उनकी टिप्पणी न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती।

जस्टिस यादव ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के सदस्य, जो सार्वजनिक रूप से खुद का बचाव करने में असमर्थ हैं, उन्हें न्यायिक बिरादरी के वरिष्ठों की ओर से संरक्षण दिया जाना चाहिए।

जस्टिस यादव ने टिप्पणी के लिए नहीं मांगी माफी

जस्टिस यादव की ओर से सीजेआई को भेजे गए जवाब में अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगी गई है। जस्टिस यादव ने कहा कि उनका भाषण संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप सामाजिक मुद्दों पर विचारों की अभिव्यक्ति थी। उनका मकसद किसी समुदाय के प्रति घृणा की भावना पैदा करने का नहीं था। जस्टिस यादव ने यह भी कहा है कि मैंने कोई गलती नहीं की है और मैं अपने बयान पर अभी भी पूरी तरह कायम हूं।


इस बयान को लेकर पैदा हुआ था विवाद

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की लाइब्रेरी में विहिप के कानूनी प्रकोष्ठ की ओर से गत 8 दिसंबर को आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता को ‘हिंदू बनाम मुस्लिम’ बहस के रूप में प्रस्तुत किया था। उनका कहना था कि हिंदू पक्ष की ओर से सुधार किए गए जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से नहीं।

जस्टिस यादव का कहना था कि आपको यह गलतफहमी है कि अगर कोई कानून (यूसीसी) लाया जाता है, तो यह आपके शरीयत, आपके इस्लाम और आपके कुरान के खिलाफ होगा। उनका कहना था कि आपका पर्सनल लॉ हो या हमारा हिंदू कानून हो, आपका कुरान हो या हमारी गीता, हमने हमेशा अपनी प्रथाओं में बुराइयों को संबोधित किया है।

फिर आप इस कानून को क्यों नहीं खत्म कर रहे हैं कि जब आपकी पहली पत्नी मौजूद है तो आप तीन पत्नियों रख सकते हैं। उन्होंने कठमुल्लों को घातक भी बताया था। जस्टिस शेखर यादव की इस टिप्पणी को लेकर खासा विवाद पैदा हो गया था। 

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