Karnataka Election Result: नतीजे देखकर पत्ते खोलेंगे कुमारस्वामी, मौका भुनाने की तैयारी...बीजेपी-कांग्रेस डाल रहे डोरे
Karnataka Election Result: कर्नाटक में मतदान के बाद कुमारस्वामी सिंगापुर चले गए हैं और उनके शनिवार शाम तक लौटने की उम्मीद है। सत्ता की जोड़-तोड़ के लिए सिंगापुर तक कुमारस्वामी से संपर्क साधा जा रहा है।
Karnataka Election Result: कर्नाटक में पिछले काफी दिनों से चल रहे सियासी घमासान के बाद अब नतीजा घोषित होने की घड़ी आ गई है। मतदान के बाद किए गए अधिकांश एग्जिट पोल में इस बार त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए गए हैं और ऐसे में जनता दल एस की सियासी भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाने लगी है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की ओर से जद एस के नेता कुमारस्वामी पर डोरे डाले जा रहे हैं। कर्नाटक में मतदान के बाद कुमारस्वामी सिंगापुर चले गए हैं और उनके शनिवार शाम तक लौटने की उम्मीद है। सत्ता की जोड़-तोड़ के लिए सिंगापुर तक कुमारस्वामी से संपर्क साधा जा रहा है।
दूसरी ओर कुमारस्वामी भी मौके को भुनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। उन्होंने अभी तक अपने सियासी पत्ते नहीं खोले हैं मगर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सत्ता की कुंजी उनके पास मानी जा रही है। 2018 में ऐसी स्थिति का फायदा उठाते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री का पद हासिल किया था और वे एक बार फिर उसी तरह मौका भुनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
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अधिकांश एग्जिट पोल में कांग्रेस मजबूत
कर्नाटक में एग्जिट पोल के नतीजे घोषित होने के बाद से ही कांग्रेस और भाजपा दोनों खेमा लगातार सक्रिय बना हुआ है। ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की संभावना जताई गई है जबकि दो एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस के इस बार राज्य में बहुमत के साथ सरकार बनाने की संभावना है।
सिर्फ दो एग्जिट पोल में भाजपा की स्थिति को मजबूत माना गया है जबकि अधिकांश एग्जिट पोल में सत्ताधारी भाजपा की स्थिति डांवाडोल नजर आ रही है। हालांकि भाजपा नेताओं का मानना है कि 2018 की तरह इस बार भी एग्जिट पोल के नतीजे गलत साबित होंगे। अब चुनावी नतीजों की घड़ी में दोनों दलों को चुनाव परिणाम का बेसब्री से इंतजार है।
आखिर क्या होगी कांग्रेस की रणनीति
जानकार सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक में मतदान समाप्त होने के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमों की ओर से जद एस पर डोरे डालने की कोशिश की जा रही है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई में कांग्रेस पदाधिकारियों ने राज्य में नई सरकार बनाने की संभावनाओं के संबंध में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला के साथ चर्चा की है।
हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि बहुमत न मिलने की स्थिति में पार्टी की ओर से क्या रणनीति अपनाने की तैयारी है। कांग्रेस किसी भी सूरत में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने की कोशिश में जुटी हुई है और ऐसे में पार्टी की ओर से कुमारस्वामी को रिझाने की दिशा में बड़ा कदम भी उठाया जा सकता है।
प्लान बी पर काम कर सकती है भाजपा
दूसरी ओर भाजपा नेताओं की ओर से अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले गए हैं। मतदान के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा की ओर से राज्य में बहुमत मिलने का दावा किया गया था। मुख्यमंत्री बोम्मई का भी मानना है कि भाजपा बहुमत पाने में कामयाब रहेगी। वैसे सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से अंदरखाने प्लान बी पर भी काम किया जा रहा है।
यदि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के आसार बनते हैं तो पार्टी की ओर से प्लान बी पर भी काम किया जा सकता है। इसके तहत पार्टी को कुमारस्वामी को मनाने की मशक्कत करनी पड़ेगी।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में अपनाई जाने वाली रणनीति पर पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ टेलीफोन पर चर्चा की है। हालांकि भाजपा ने भी अभी तक अपनी भावी सियासी रणनीति के संबंध में पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि पार्टी चुनावी रुझान स्पष्ट होने के बाद अपनी रणनीति पर काम करने का प्रयास शुरू करेगी।
2018 में मौका भुना चुके हैं कुमारस्वामी
कर्नाटक के चुनावी नतीजों में यदि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है तो जद एस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाएगी। ऐसे में पार्टी की ओर से 2018 की तरह मौका भुनाने की तैयारी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटों पर जीत हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। पार्टी को बहुमत हासिल करने के लिए 9 विधायकों के समर्थन की दरकार थी। दूसरी ओर कांग्रेस को 78 और जद एस को 37 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाबी मिली थी।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस ने भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया था। इस मौके को लपकते हुए कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे। हालांकि एक साल बाद ही दोनों दलों की खींचतान के कारण उनकी सरकार गिर गई थी।
जद एस और कांग्रेस के सामने यह भी चुनौती
पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी इस समय सिंगापुर गए हुए हैं और उनके शनिवार की शाम तक लौटने की उम्मीद है। तब तक कर्नाटक की चुनावी तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। जद एस के सूत्रों का कहना है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में पार्टी किंगमेकर की भूमिका निभाएगी और 2018 की तरह है मौका भुनाने की कोशिश करेगी।
वैसे त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जद एस और कांग्रेस के सामने विधायकों को एकजुट बनाए रखने की भी सबसे बड़ी चुनौती होगी। सियासी जानकारों का मानना है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में विधायकों के टूटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल हर किसी को चुनावी नतीजे का बेसब्री से इंतजार है और माना जा रहा है कि उसके बाद ही भाजपा, कांग्रेस और जद एस तीनों की ओर से अपनी रणनीति का खुलासा किया जाएगा।