Narayan Singh Chaura: कौन है सुखबीर बादल पर गोली चलाने वाला खालिस्तानी नेता?

Narayan Singh Chaura: नारायण सिंह चौरा को आखिरी बार 2022 में जमानत पर रिहा किया गया था और वह अमृतसर, रोपड़ और तरनतारन सहित पंजाब के विभिन्न जिलों में कई मामलों का सामना कर रहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-12-04 12:09 IST

कौन है नारायण सिंह चौरा  (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Narayan Singh Chaura: अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर वरिष्ठ शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) नेता सुखबीर सिंह बादल पर कथित तौर पर गोलियां चलाने वाला शख्स खालिस्तानी नेता नारायण सिंह चौरा है।

नारायण सिंह चौरा के खिलाफत गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत कई मामले हैं। पुलिस के मुताबिक वह एक कुख्यात व्यक्ति है जो आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के लिए कई बार जेल जा चुका है। पुलिस के अनुसार, चौरा 1984 में पाकिस्तान चला गया था और आतंकवाद के शुरुआती दौर में उसने पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान में रहते हुए, उसने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और "राष्ट्र विरोधी" साहित्य पर एक किताब लिखी थी। वह 1990 के दशक के मध्य में भारत वापस आया और कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा। चौरा को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को मोबाइल फोन और अन्य प्रतिबंधित पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए बुड़ैल जेल ब्रेक मामले में भी गिरफ्तार किया गया था। चौरा को आखिरी बार 2022 में जमानत पर रिहा किया गया था और वह अमृतसर, रोपड़ और तरनतारन सहित पंजाब के विभिन्न जिलों में कई मामलों का सामना कर रहा है।

करीब 12 मामलों में आरोप

चौरा खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और अकाल फेडरेशन से जुड़ा हुआ था। उसे 28 फरवरी, 2013 को तरनतारन के जलालाबाद गांव में गिरफ्तार किया गया था। उसी दिन उसके साथी सुखदेव सिंह और गुरिंदर सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था। उससे पूछताछ के आधार पर पुलिस ने मोहाली जिले के कुराली गांव में एक ठिकाने पर छापा मारा और दावा किया कि उसकी सूचना के आधार पर हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरामद किया गया है। उस पर करीब 12 मामलों में आरोप हैं।

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार नारायण सिंह चौरा के खिलाफ अमृतसर के सिविल लाइन्स थाने में विस्फोटक अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज है। पुलिस के अनुसार, नारायण सिंह चौरा 1984 में पाकिस्तान गया था। उसने उग्रवाद के शुरुआती वर्षों के दौरान पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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