केदारनाथ पुर्ननिमार्ण को लेकर भाजपा कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप और तीव्र हुए

Update: 2017-10-21 15:05 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रवार को उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा में मंदिर निर्माण परियोजनाओं व नई केदारपुरी के शिलान्यास के बाद कांग्रेस व भाजपा में आरोप प्रत्यारोप एक बार फिर से सामने आ गए हैं। मोदी ने यह कहकर कांग्रेस की दुखती रग को छेड़ दिया कि जून 2013 में जब केदारनाथ में आपदा आई तो पूरी तरह तबाह हुए केदारनाथ में ढांचागत सुविधाओं व मंदिर स्थल के पुर्ननिर्माण का काम गुजरात सरकार से कराने की पेशकश की थी।

मोदी ने केदारनाथ में कहा कि उन्होंने 2013 में आपदा आने पर बाबा केदारनाथ की सेवा करने की कोशिश की थी लेकिन अब 2017 में उन्होंने मेरी इच्छा पूरी की है। उनके कार्यकाल में पहले से शुरू की गई योजनाओं का ही शिलान्यास किया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री ने जिन योजनाओं का शिलान्यास किया था वे सभी प्रोजेक्ट उनके द्वारा शुरू किए गए थे। दूसरी ओर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने हरीश रावत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने जो शुरुआत की है उससे पूरे उत्तराखंड के विकास को गति मिलेगी तथा केदारनाथ में पर्यटकों की तादाद में आने वाले दिनों में और बढ़ोतरी होगी।

कांग्रेस ने शुक्रवार को मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने केदारनाथ मंदिर की तरफ पीठ करके वहां लोगों को संबोधित किया जो मंदिर की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार ने आपदा राहत के लिए केंद्र की ओर से 8 हजार करोड़ रुपए की सहायता राशि मंजूर की थी। 2200 करोड़ रुपए यूपीए सरकार की ओर से मई 2014 में राज्य सरकार को जारी कर दिए गए थे लेकिन बाकी 5800 करोड़ की राशि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही रोक दी।

सुरजेवाला का कहना है कि प्रधानमंत्री को केदारनाथ में यह सत्य स्वीकार करना चाहिए था कि केंद्र ने केदारनाथ त्रासदी के वक्त आपदा राहत की स्वीकृत राशि को रोककर रखा हुआ है।

सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी जी ईश्वर की शरण में बड़बोली बातों और जुमलों से गुरेज करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार ने न केवल केदारनाथ मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों के स्थानीय आवासों बल्कि उन गरीब लोगों की मदद का भी काम बडे़ पैमाने पर हाथ में लिया था जिनके घोड़े खच्चर आपदा में बहकर मर गए थे।

आदि शंकराचार्य द्वारा पंद्रहवीं सदी में निर्मित इस केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार को करीब 6 माह के शीतकालीन मौसम के लिए बंद हो गए। यह सारा इलाका सर्दियों में बर्फ से ढका रहता है। मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो इस साल केदारनाथ के कपाट खुलने और बंद होने के दोनों मौकों पर वहां मौजूद रहे।

2013 में जब मोदी आपदा के मौके पर उत्तराखंड गए थे तो वे गुजरात से राहत सामग्री लेकर गए तथा देहरादून में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से मिलकर उन्होंने केदारनाथ पुर्ननिर्माण का पूरा काम गुजरात सरकार को सौंपे जाने का आग्रह किया था। बहुगुणा ने उनकी पेशकश को यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि राज्य सरकार खुद ही मंदिर का पुर्ननिर्माण करेगी।

चार साल पूर्व आई इस आपदा में करीब कई हजार लोगों की जाने गईं थी तथा बड़े पैमाने पर केदारनाथ पहुंचने के मार्ग और मंदाकिनी नदी के किनारे होटल और मंदिर जल प्रलय में बह गए थे।

ज्ञात रहे कि आपदा के बाद उत्तराखंड व बचाव कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और संसाधनों के दुरुपयोग की बातें सामने आयीं। भाजपा ने आपदा राहत घोटाले को बड़ा सियासी मामला बनाया और राज्य में आंदोलन भी चलाया। 2014 में हुए लोकसभा के आम चुनावों में भाजपा ने वहां की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। बाद में कांग्रेस आलाकमान ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था।

नाराज बहुगुणा ने 2016 में भाजपा ज्वाइन कर ली तथा उसके बाद यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष रही उनकी बहिन रीता बहुगुणा जोशी भी भाजपा में शामिल हो गईं। उन्होंने पिछला विधानसभा का भी चुनाव लड़ा व योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गईं।

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