Guruvayur Temple: केरल का गुरुवायुर मन्दिर जहां बना शादियों का रिकार्ड, जानिए क्या है यहां की खासियत
Kerala Guruvayur Temple: श्री कृष्ण मंदिर, गुरुवयूर को विवाह के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है और इसमें भगवान कृष्ण या 'गुरुवायुरप्पन' की पवित्र मूर्ति है।
Kerala Guruvayur Temple: केरल में स्थित गुरुवायुर मन्दिर में 8 सितंबर को 334 विवाह संपन्न कराए गए जो एक रिकॉर्ड है। इस मंदिर की क्या विशेषता है और यहां विवाह करना क्यों अत्यंत शुभ माना जाता है, जानते हैं इसके बारे में।
गुरुवायुर मन्दिर को दक्षिण भारतीय हिंदुओं के बीच दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। गुरुवायुर को स्थानीय रूप से 'गुरुपवनपुरी' के नाम से जाना जाता है, और ये एक पवित्र तीर्थस्थल और शादियों के लिए एक पवित्र गंतव्य है। पवित्र भूमि से जुड़ी पौराणिक कथाओं और परंपराओं के साथ, गुरुवायुर का प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर मुख्य स्थल है जहाँ बड़ी संख्या में विवाह सम्पन्न होते हैं।
सबसे पवित्र स्थान
श्री कृष्ण मंदिर, गुरुवयूर को विवाह के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है और इसमें भगवान कृष्ण या 'गुरुवायुरप्पन' की पवित्र मूर्ति है। इस मंदिर को 'पृथ्वी पर कृष्ण का पवित्र निवास' माना जाता है। पूरे दक्षिण भारत और विशेष रूप से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से लोग इस मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।
महीनों पहले बुकिंग
विवाह के लिए मंदिर में कई मंडप हैं और महीनों पहले से बुकिंग करानी पड़ती है। श्री कृष्ण मंदिर में सामान्य शुभ दिनों में प्रतिदिन 50 से 100 शादियाँ होती हैं। व्यस्त समय में, यह संख्या आसानी से 200 को पार कर जाती है। मंडप में केवल करीबी परिवार के सदस्यों को ही जाने की अनुमति है। इस बार प्रत्येक विवाह समारोह में अधिकतम 24 लोगों को ही अनुमति दी गई है जिसमें फोटोग्राफर भी शामिल हैं।
3 से 7 मिनट में शादी
प्रत्येक समारोह केवल 3-7 मिनट तक किचलता है और तुरंत ही जोड़े और परिवार को अगली शादी के लिए जगह खाली करनी होगी। गुरुवायुर के श्री कृष्ण मंदिर में वैसे तो पूरे साल भीड़ रहती है, लेकिन सबसे ज़्यादा भीड़ अगस्त और सितंबर के चिंगम यानी सहालग के महीनों में होती है।
क्या है वजह
गुरुवायुर मंदिर को बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है। माना जाता है कि मंदिर में की गई शादी हमेशा के लिए चलती है। गुरुवायुर एक ऐसी जगह है जहाँ जातियों के बीच विवाह स्वतंत्र रूप से हो सकते हैं। मंदिर सभी जातियों को समान मानता है और उसी के अनुसार अनुष्ठान करता है। बहुत से लोग मंदिर में प्रसाद चढ़ाने और 'नेर्चा' करने आते हैं। गुरुवायुर मंदिर में जीवन भर की संतुष्टि का अनुष्ठान किया जाता है।
क्या है सिस्टम
- मन्दिर में विवाह के लिए 30 दिन पहले बुकिंग करानी होती है।
- मन्दिर के एडवांस काउंटर से एक हजार रुपये की दर से विवाह टिकट और फोटोग्राफी टिकट लेना होता है।
- मन्दिर के भीतर थाली - पूजा के लिए 100 रुपये की फीस पड़ती है।
- दुल्हन किसी भी तरह की साड़ी पहन सकती है। दूल्हे के लिए कोई परिधान नियम नहीं है।
- मन्दिर विवाह मंच पर प्रत्येक पार्टी के साथ दो फोटोग्राफर और दो वीडियोग्राफर को अनुमति मिलती है।
- विवाह के समय मन्दिर की ओर से तुलसी की माला दी जाती है। विवाह मंडप में मंत्रोच्चार होता है और नादस्वराम किया जाता है। मंडप में मंगलसूत्र बांधा जाता है और दूल्हा दुल्हन तुलसी की माला का आदान प्रदान करते हैं। दूल्हा दुल्हन का हाथ पकड़ कर अनुष्ठान पूरा करने के लिए मंडप में दीपक की परिक्रमा करता है।