त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम हुआ देवभूमि का ताज, कुछ ऐसा रहा संघ से लेकर सत्ता तक का सफर
देवभूमि में एक बार फिर रावत सरकार बनी है, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री हरीश सिंह रावत नहीं बल्कि बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत बने हैं।
देहरादून: देवभूमि में एक बार फिर रावत सरकार बनी है, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री हरीश रावत 'हरदा' नहीं बल्कि बीजेपी के त्रिवेंद्र सिंह रावत बने हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार (19 मार्च) को उत्तराखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। गौरतलब है कि 70 विधानसभा सीट वाले उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 57 सीटें हासिल की हैं, जबकि सत्ता में रही कांग्रेस को मात्र 11 सीटें मिली हैं।
खास बात यह रही कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने हरीश रावत ने दो विधानसभा सीटों (किच्छा और हरिद्वार) से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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जबकि राज्य के नए मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून की डोईवाला विधानसभा सीट से कांग्रेस के सीनियर लीडर हीरा सिंह बिष्ट को 24,869 वोटों से हराया। वह उत्तराखंड में कृषि मंत्री भी रह चुके हैं।
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कौन हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत ?
-त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्म 20 दिसंबर, 1960 को उत्तराखंड के गांव खैरासैण में हुआ था।
-उनके पिता का नाम श्री प्रताप सिंह रावत और माता का नाम श्रीमती बोद्धा देवी था।
-उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता रावत एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं।
-त्रिवेंद्र दो बेटियों के पिता हैं।
-रावत ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में डिप्लोमा किया।
-त्रिवेंद्र सिंह रावत आठ भाइयों में सबसे छोटे हैं।
-वो बेहद साधारण जीवन जीते हैं। त्रिवेंद्र को सेना से खासा लगाव है।
-यही वजह है कि कई शहीद सैनिकों की बेटियों को गोद ले रखा है।
-जिनका वो पूरा खर्चा भी उठाते हैं।
-चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के अनुसार उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है।
-उनके पास करीब 1 करोड़ की संपत्ति है।
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अमित शाह के करीबी
-वह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं।
-त्रिवेंद्र सिंह रावत को जमीनी स्तर का नेता माना जाता है।
-57 साल के रावत 1979 से संघ से जुड़े रहे हैं।
-त्रिवेंद्र साल 1983 से 2002 तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं।
-साल 1985 में त्रिवेंद्र देहरादून महानगर के प्रचारक बने।
-उस दौरान वह उत्तराखंड अंचल और बाद में राज्य के संगठन सचिव रहे हैं।
-राज्य आंदोलन के दौरान त्रिवेंद्र जेल भी गए।
-2014 में झारखंड का इंचार्ज बनने के बाद उनके नेतृत्व में राज्य में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी।
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2007-12 के दौरान राज्य के कृषि मंत्री भी रहे
-त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में संघ प्रचारक की भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाई।
-जिसके बाद उन्हें मेरठ का जिला प्रचारक बनाया गया।
-1993 में त्रिवेंद्र बीजेपी के संगठन मंत्री बने।
-वहां उन्होंने जमकर काम किया, जिससे संघ ने खुश होकर 2002 में उत्तराखंड चुनाव में उन्हें टिकट दे दिया।
-उस समय रावत ने कांग्रेस के वीरेंद्र मोहन उनियाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
-तब से वहां से तीन बार चुने जा चुके हैं ।
-तात्कालिक सीएम भुवन चंद्र खंडूरी की कैबिनेट में कृषि और लघु सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री के रूप में अपने दायित्वों का निवर्हन किया।
-इसके बाद वह उत्तराखंड के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल के मंत्रिमंडल में दोबारा कैबिनेट मंत्री बनें।
-साल 2013 में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को राष्ट्रीय सचिव और टेक्नोक्रेट सेल का प्रभारी बनाया।