Delhi News: नेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी ने लगाया आरोप, 72 लाख गरीबों को दो महीने से नहीं मिल रहा राशन

Delhi News: रामवीर सिंह बिधूड़ी ने एक बड़ा खुलासा किया है कि केजरीवाल सरकार द्वारा राशन सप्लाई में किए गए एक बड़े घोटाले के कारण दिल्ली के 72 लाख 78 हजार कार्ड धारकों को दो महीने से राशन नहीं मिल पा रहा है।;

Newstrack :  Network
Update:2022-12-22 18:43 IST

Delhi News (Social Media)

Delhi News: दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने एक बड़ा खुलासा किया है कि केजरीवाल सरकार द्वारा राशन सप्लाई में किए गए एक बड़े घोटाले के कारण दिल्ली के 72 लाख 78 हजार कार्ड धारकों को दो महीने से राशन नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार ने तो खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री अन्न कल्याण योजना के तहत दिल्ली के गरीबों के लिए राशन जारी कर दिया, लेकिन दिल्ली सरकार के इस घोटाले के कारण वह राशन अब तक दुकानदारों तक नहीं पहुंच सका।

दिल्ली के उन लाखों प्रवासी मजदूरों को भी दो लाख क्विंटल गेहू-चावल नहीं मिल सका जो 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के तहत दूसरे राज्यों में पंजीकृत हैं और दिल्ली में राशन लेते हैं।

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने पत्रकार वार्ता का संचालन करते हुआ कहा की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने स्थापित कर दिया है की केजरीवाल सरकार जानबूझकर गरीबों को राशन से वंचित कर रही है और कहा की आज केजरीवाल सरकार जवाबदेह है की आखिर क्यों तीन माह से गरीबों को राशन नही मिला रहा, क्यों नही राशन उठाने के लियें ट्रकों की व्यवस्था हो पा रही। मीडिया रिलेशन विभाग के सह-प्रमुख श्री विक्रम मित्तल उपस्थित थे।

इस सारे घटनाक्रम के बारे में बिधूड़ी ने बताया कि दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड की ओर से जनवरी 2020 में राशन की दुकानों तक राशन पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्टर से टेंडर्स आमंत्रित किए गए थे।

16 ट्रांसपोर्टर्स को टेंडर्स दिए जाने थे जिनमें से 15 ट्रांसपोर्टर्स को कार्य अवॉर्ड कर दिया गया लेकिन एक ट्रांसपोर्टर बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी को टेंडर अवॉर्ड नहीं किया गया क्योंकि उसके पास टेंडर की शर्तों के अनुसार सीएनजी ट्रक नहीं थे। टेंडर न मिलने पर बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी दिल्ली हाई कोर्ट में चली गई।

कोर्ट में इसके केस की पैरवी आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती ने की। कोर्ट ने 10 जनवरी 2020 को अपने फैसले में भी इसे सीएनजी ट्रक न होने के कारण इस मामले में कोई राहत देने से साफ मना कर दिया।

बिधूड़ी ने बताया कि दिल्ली सरकार ने 10 जनवरी 2020 को ही कोर्ट में एक एफिडेविट भी दिया कि केवल सीएनजी ट्रकों को ही राशन की आपूर्ति करने का ठेका देंगे। इसीलिये कोर्ट ने बंसल एंड कंपनी को अनुमति नहीं दी। लेकिन अंदर ही अंदर मिलीभगत से बैक डोर से इस पार्टी को डीजल ट्रक होने के बावजूद ठेका दे दिया गया जोकि आज तक लगातार जारी है जबकि बाकी 15 अन्य ट्रांसपोर्टर्स का ठेका इसी दिसम्बर में खत्म हो चुका है।

टेंडर की मियाद खत्म होने के कारण दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पाेरेशन लिमिटेड ने जुलाई 2022 में दुबारा टेंडर निकाले लेकिन बड़ी चालाकी से टेंडर की शर्तों में डीजल के ट्रकों की एंट्री करने के इरादे से उसमें सीएनजी के साथ साथ बीएस-4 ट्रक भी लिख दिया गया। जिसका सीधा मतलब ये है कि डीजल के ट्रक रखने वाले ट्रांसपोर्टर भी इस टेंडर में अपनी बिड लगा सकते थे। साफतौर पर बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर में ये शर्त भी जोड़ दी गई।

उन्होंने बताया कि बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी को ही टेंडर देने की नीयत से एक बात और टेंडर में जोड़ी गई कि इस टेंडर को केवल वही ट्रांसपोर्टर भर सकते हैं जिनके पास 10 टन से बड़ी गाड़ियां हों। दिल्ली में सीएनजी की सभी गाड़ियां 6.5 टन से लेकर 10 टन तक की होती है। 10 टन से बड़ी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन दिल्ली में होता ही नहीं है।

10 टन से बड़ी गाड़ी की शर्त केवल इसलिए लगाई गई ताकि बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी को इसका सीधा लाभ मिल सके। 10 टन से बड़ी गाड़ियां जो कि 18 टन से लेकर 30 टन की होती है और केवल डीजल से ही चलती हैं और वो गाड़ियां केवल बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास ही हैं। इससे वे ट्रांसपोर्टर्स अपने आप ही टेंडर से बाहर हो गए जो पहले टेंडर में अपनी सीएनजी गाड़ियों से राशन आपूर्ति कर रहे थे।

हैरानी की बात यह है कि बंसल ट्रांसपोर्ट कंपनी ने 24 टन से लेकर 30 टन की गाड़ियों में से कुछ गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन 2018 और 2020 के बीच में दिल्ली में करवाया है, जो कि गैर कानूनी है। एनजीटी के नियमों के अनुसार दिल्ली में डीजल की कमर्शियल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर बैन लगा हुआ है। यह जांच का विषय है कि आखिर कैसे बंसल एंड कंपनी की डीजल की गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो गया।

नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि नया टेंडर निकालने के बाद जो 15 ट्रांसपोर्टर्स पहले टेंडर के अनुसार राशन की सप्लाई कर रहे थे वो लोग इस मामले को लेकर अगस्त 2022 में हाईकोर्ट में पहुँच गए। हाईकोर्ट ने 8 अगस्त 2022 को उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई होने तक टेंडर अवॉर्ड करने की प्रक्रिया को रोक दिया है जिस पर अभी सुनवाई चल रही है।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होनी है लेकिन मज़े की बात ये है कि बंसल एंड कंपनी का पिछला वर्क ऑर्डर आगे बढ़ा दिया गया और अब एक बार फिर से उसको साल 2023 में भी राशन सप्लाई करने की जिम्मेदारी मिली हुई है जिसके अनुसार वह अभी भी यमुनापार के कुछ इलाकों में राशन सप्लाई कर रहा है लेकिन बाकी दिल्ली में राशन की सप्लाई इस विवाद के कारण रुकी हुई है।

बिधूड़ी ने कहा कि यह एक ऐसा घोटाला है जो दिल्ली सरकार के कट्टर ईमानदार होने के दावे को तार-तार कर रहा है और इससे पता चल जाता है कि यह सरकार किस तरह निरंकुश होकर नियमों को ताक पर रखकर काम कर रही है।

बिधूड़ी ने उपराज्यपाल से इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया है और कहा है जब तक इस मामले में हाई कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक दिल्ली सरकार सीएनजी ट्रक रखने वाले प्राईवेट ट्रांसपोर्टरों के द्वारा गोदामों से राशन उठवाकर राशन की दूकानों तक पहुंचाने की व्यवस्था करे ताकि दिल्ली के 72 लाख लोगों को राशन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

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