तस्वीरों में देखिये मजदूरों की बेबसी, घुटन और लाचारी की कहानी
लॉकडाउन के चलते पूरे देश में पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। जी रहे हैं लेकिन जिन्दा नहीं हैं, भूख है लेकिन रोटी नहीं है, सड़क खुद उनके पैरों के छाले देखकर आँखें चुरा रही है।
लखनऊ : सिसकियां भरी और चल दिया सफर पर, वो मजदूर था उसे रोने की इजाज़त नहीं थी । जी हाँ आजकल पूरे देश में ऐसा ही दृश्य देखने को मिला रहा है। लॉकडाउन के चलते पूरे देश में पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। जी रहे हैं लेकिन जिन्दा नहीं हैं, भूख है लेकिन रोटी नहीं है, सड़क खुद उनके पैरों के छाले देखकर आँखें चुरा रही है।
लेकिन फिर भी ये चल पड़े हैं उन रास्तों पर जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं, अभी इनकी मंजिल बहुत दूर हैं। ये मजबूर है... ये बेक़सूर हैं.... जी हाँ ये मजदूर हैं।
1-सभी मजदूर भाई-भाई, सुख-दुःख के हम साथी, सफ़र चाहे कितना भी हो लम्बा तय करेंगे साथ-साथ
2- चाहे जो हो सवारी पहुचेंगे अपने घर
3- सफ़र में जो भी मिले मदद, लेना है जरूरी
4- देश का भविष्य भी तय कर रहा है सफ़र, अभी उसको जन्म भी है लेना
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5- देश के लिए करते हैं, अपने परिवार के लिए, कुछ भी करने का समय
6- बहुत दूर जाना है
7- चिंता! आगे और कौन सी मुसीबत कर रही इंतज़ार
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8- कोरोना से बचते हुए सुरक्षित पहुंचना है अपने घर
9- भूख है लेकिन रोटी नहीं है
हमारे कैमरामैन आशुतोष त्रिपाठी द्वारा ली गई इन तस्वीरों में आपको देश की मौजूदा तस्वीर देखने को मिल सकती हैं । आप देख सकते हैं कि किस तरह हमारे देश के निर्माता मजदूर आज मजबूर होकर इस तरह के सफ़र पर निकल पड़ा है।
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