लोकसभा में आया आपातकाल पर प्रस्ताव, ओम बिरला बोले- पूरे देश को बना दिया गया था जेलखाना, विपक्ष का हंगामा

Parliament Session 2024: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने की जिम्मेदारी निभाई।

Newstrack :  Network
Update: 2024-06-26 09:32 GMT

Parliament Session 2024 (सोशल मीडिया) 

Parliament Session 2024: ध्वनिमत से दोबारा लोकसभा अध्यक्ष चुनने जाने के बाद स्पीकर के रूप में ओम बिरला ने पहली बार लोकसभा में अपना संबोधन दिया। उनका पहला संबोधित 1975 में लगाए गए आपातकाल पर था और उसकी उन्होंने निंदा की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अपने पहले संबोधन में जैसे इमरजेंसी पर बोलना शुरू किया तो सदन में विपक्ष हंगामा करने लगा। कार्यवाही बीच में छोड़ कांग्रेस-इंडिया गठबंधन के नेता सदन से बाहर निकल गए और मोदी सरकार के खिलाफ नारे बाजी करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1975 में आपातकाल लगाने के तत्कालीन कांग्रेस सरकार के फैसले की निंदा की और उन लोगों की सराहना की जिन्होंने इसके कार्यान्वयन का विरोध किया।

25 जून 1975 भारत के इतिहास का है काला दिन

आपताकाल पर बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने की जिम्मेदारी निभाई। 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया हालांकि लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। इस दौरान सदन में दो मिनट का मौन भी रखा गया। हालांकि समूचा विपक्ष हंगामा करता रहा।

'देश को जेलखाना बना दिया गया...'

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, पूरी आजादी छीन ली गई। ये दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदिया लगाई थी, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था। इमरजेंसी का वह समय हमारे देश के इतिहास में अन्यायकाल का एक काला खंड था। इमरजेंसी लगाने के बाद कांग्रेस सरकार ने कुछ ऐसे फैसले किए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावनाओं को कुचलने का काम किया।

सदन चलाने पर ओम बिरला ने कही ये बातें...

सदन की कार्यवाही संचालित करने पर ओम बिरला ने सत्ता पक्ष और विपक्ष को आश्वासन दिया किसदन में आलोचना और असहमति होगी, लेकिन कोई व्यवधान नहीं होगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर सदन चलाते हैं, भारतीय लोकतंत्र की ताकत सभी की बात सुनने और सभी की सहमति से सदन चलाने में है। मैं उम्मीद करूंगा कि मैं सभी की सहमति से सदन चलाऊं, यहां तक कि अगर किसी पार्टी का एक भी सदस्य हो, तो उसे पर्याप्त समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा मेरी उम्मीद है कि सदन बिना किसी बाधा के चलेगा। हमें उम्मीद के साथ लोगों ने चुना है, इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि सदन में व्यवधान नहीं होना चाहिए। आलोचना हो सकती है, लेकिन बाधा डालना सदन की परंपरा नहीं है। वेल में भागना संसद की परंपरा नहीं है।

हमें ऐसी नीतियां लाएं जिससे समाज के वंचित वर्गों का भाला हो

उन्होंने कहा कि मैं कभी भी किसी सदस्य के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं करना चाहता, लेकिन हर कोई चाहता है कि संसदीय परंपरा के उच्च मानक को बनाए रखा जाए। इसके लिए मुझे कई बार कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि 18वीं लोकसभा में, संविधान के महान निर्माताओं को याद करते हुए हमें ऐसी नीतियां और कानून बनाने चाहिए जो समाज के वंचित वर्गों की मदद करें।

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