Madurai Train Fire: ट्रेन में सफ़र करें लेकिन जिम्मेदारी से, एक गलती से हो सकती है बड़ी आपदा

Madurai Train Fire Update: ट्रेन के डिब्बे में आग लगने की घटनाएँ सबसे गंभीर आपदाओं में से एक हैं। ट्रेन में आग लगने की घटना रेलवे के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

Update: 2023-08-26 09:49 GMT
Madurai Train Fire Update (photo: social media )

Madurai Train Fire Update: तमिलनाडु के नागरकोइल में एक टूरिस्ट कोच में आग लगने की भयः और दुखदाई घटना हुई है। शुरूआती जाँच बताती है कि इस डिब्बे के यात्री सिलेंडर जला कर कुछ पका रहे थे तभी आग फ़ैल गई। पहले भी ट्रेन के डिब्बों में आग लगने की कई घटनाएँ हो चुकी हैं जिनमें कई लोगों की जानें चली गईं हैं। ट्रेन के डिब्बे में आग लगने की घटनाएँ सबसे गंभीर आपदाओं में से एक हैं। ट्रेन में आग लगने की घटना रेलवे के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। 2015 में कैग यानी भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि शॉर्ट सर्किट, खराब रखरखाव और जागरूकता की कमी ट्रेनों में आग लगने के प्रमुख कारण हैं।

क्यों लगती है आग

ट्रेन के कोच में आग किसी भी वजह से लग सकती है। यह शार्ट सर्किट, यात्रियों की लापरवाही या खराब रखरखाव की वजह से हो सकती है।

शार्ट सर्किट

ट्रेन के कोच में लाइट, पंखे, एयरकंडीशनिंग, फोन चार्जिंग पॉइंट आदि के लिए बिजली सप्लाई की जरूरत होती है, बिजली सप्लाई के लिए तार और अन्य उपकरणों का होना जरूरी होता है। किसी इलेक्ट्रिकल सर्किट में तार कट जाने, पॉइंट ढीले हो जाने, तार टूट जाने, इन्सुलेशन टूट जाने या गल जाने, ओवरलोड आदि कई कारणों से शार्ट सर्किट हो सकता है। ये स्थिति ट्रेन ही नहीं, कहीं भी हो सकती है। लेकिन शार्ट सर्किट से बचने के भी कई उपाय किये जाते हैं ताकि कोई दुर्घटना न हो सके। लेकिन कभी कभी सावधानियां और बचाव उपाय के बावजूद मशीनी फेलियर हो सकता है। शोर्ट सर्किट होने पर चिंगारी निकलती है जिससे आग लग कर फ़ैल सकती है।

ख़राब मेंटेनेंस

घर की वायरिंग हो या किसी इलेक्ट्रिकल उपकरण की, अगर ढंग से रखरखाव नहीं किया गया तो खराबी आ कर दुर्घटना हो सकती है। इसी तरह ट्रेन कोच का रखरखाव भी बहुत मायने रखता है। वैसे, रेलवे अपनी तरफ से कोच आदि का मेंटेनेंस करता है लेकिन कभी चूक भी हो सकती है। मिसाल के तौर पर वायरिंग ढीली या टूटी है, स्विच बोर्ड टूटे या खराब हैं, तार ठीक से जुड़े नहीं हैं तो दुर्घटना हो सकती है।

लोगों की गलती

ट्रेन के कोच में प्लास्टिक, रेक्सीन, लकड़ी, रबर आदि से बनी कई ऐसी चीजें लगी होती हैं जो ज्वलनशील होती हैं। वैसे तो कई चीजें फायरप्रूफ होती हैं लेकिन सभी चीजें फिरे प्रूफ नहीं होतीं। अब ऐसे में अगर यात्री ज्वलनशील चीजें जैसे कि पेट्रोल, गैस सिलेंडर, माचिस, पटाखे आदि ले कर यात्रा करेंगे तो ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है। अब कोई ट्रेन के भीतर गैस सिलेंडर पर खाना बनाने लगे तो क्या होगा? यही नहीं, अगर किसी ने जलती माचिस लापरवाही से कोच के भीतर फेंक दी तो आग लगने की पूरी आशंका तो होगी ही। अगर चार्जिंग पॉइंट में कोई एलेक्ट्रिक केतली लगा दे तो शोर्ट सर्किट होने की आशंका हो जायेगी। इसीलिए ट्रेन में यात्रा करते वकत ज्वलनशील वस्तुएं ले जाना प्रतिबंधित होता है और यात्रियों की सुरक्षा के लिए ही ऐसा किया जाता है।

दरअसल, ट्रेन में लगी आग अन्य जगहों पर लगी आग से भिन्न होती है। चलती ट्रेन में आग

बहुत खतरनाक होती है क्योंकि यह फैनिंग प्रभाव के कारण बहुत तेजी से अन्य कोच में फैलती है। ट्रेन के कोच जैसी संकरी जगह में धुआं और आग बहुत जल्दी फैलती है।

सावधानी बरतें

ट्रेन में यात्रा करते वक्त सावधानी बरतें और जिम्मेदारी से काम लें। जिस तरह अपने घर या कार्यस्थल में आग से बचाव के उपायों का पालन करते हैं उसी तरफ ट्रेन में भी जिम्मेदारी बरतें। कभी भी ज्वलनशील पदार्थ ले कर यात्रा न करें। कभी भी ट्रेन के भीतर धूम्रपान न करें। कोई चीज कभी न जलाएं। कोई ऐसा कर रहा है तो तत्काल रिपोर्ट करें।

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