Maharashtra: MVA में CM पद को लेकर फंसा पेंच, कांग्रेस और उद्धव दोनों दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं

Maharashtra: कांग्रेस नेताओं की ओर से लगातार विधानसभा चुनाव में जीत का दावा किया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बड़ा बयान दिया है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-01 14:35 IST

Maharashtra assembly election 2024   (photo: social media )

Maharashtra: महाराष्ट्र में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) ने सत्तारूढ़ खेमे को पटखनी देने की रणनीति तैयार कर रखी है मगर विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे और सीएम पद की दावेदारी को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे की निगाहें पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लगी हुई है जबकि कांग्रेस भी सीएम पद की दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री पद को लेकर सहयोगी दलों के बीच खींचतान बढ़ती हुई दिख रही है।

कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद पर दावा

कांग्रेस नेताओं की ओर से लगातार विधानसभा चुनाव में जीत का दावा किया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस लोकसभा चुनाव के दौरान मिली कामयाबी को दोहराएगी और राज्य का अगला मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी का ही होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य में चल रही हवा को देखते हुए मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में से इस बार महाविकास अघाड़ी गठबंधन 180 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब होगा।

लोकसभा चुनाव जैसा होगा नतीजा

पश्चिम महाराष्ट्र के सतारा में कांग्रेस की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र के लोगों ने कांग्रेस को व्यापक समर्थन दिया था। वैसी ही स्थिति अब विधानसभा चुनाव के दौरान भी दिखने वाली है।

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने राज्य में सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं और विधानसभा चुनाव के दौरान भी वैसा ही नतीजा दिखेगा। ऐसी स्थिति में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का ही मुख्यमंत्री बनेगा।

कांग्रेस को मिली थीं सबसे ज्यादा सीटें

महाराष्ट्र में यदि लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखा जाए तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन सत्तारूढ़ महायुति पर काफी भारी पड़ा था। कांग्रेस,एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) ने मिलकर राज्य की 30 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

सबसे बड़ी कामयाबी कांग्रेस को मिली थी और पार्टी 13 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी और ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का हौसला काफी बढ़ा हुआ है।

कांग्रेस को शिवसेना की सलाह

चव्हाण से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने भी मुख्यमंत्री पद को लेकर बड़ा बयान दिया था। उनका कहना था कि मुझे इस बात का सौ फीसदी भरोसा है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी का ही होगा।

थोराट के इस बयान के बाद शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत की प्रतिक्रिया भी सामने आई थी। उनका कहना था कि कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका निभाने से बचना चाहिए।

मुख्यमंत्री पद पर उद्धव की भी निगाहें

दरअसल शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने भी मुख्यमंत्री पद पर निगाहें गड़ा रखी हैं। उन्होंने पिछले दिनों अपने दिल्ली दौरे के समय कांग्रेस नेताओं से इस बाबत भी चर्चा की थी। वे लगातार इस बात को कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद का फैसला गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटों के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे गठबंधन में शामिल दलों के बीच भरोसा कम होता है। वे सीएम चेहरा घोषित करने के बाद विधानसभा चुनाव की जंग में उतरने पर जोर भी देते रहे हैं।

सीटों के बंटवारे पर भी सहमति नहीं

दूसरी ओर एनसीपी के मुखिया शरद पवार का मानना है कि विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं घोषित किया जाना चाहिए। पवार ने कुछ समय पहले बयान दिया था कि मुख्यमंत्री पद का फैसला इस आधार पर किया जाएगा कि कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब होती है। उस पार्टी के नेता को ही मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलना चाहिए। हालांकि उद्धव ठाकरे की राय इससे बिल्कुल उल्टी रही है।

इस तरह महाविकास अघाड़ी गठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान का दौर बना हुआ है। सीटों को लेकर भी अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। राज्य में विधानसभा की तमाम सीटें ऐसी हैं जिनको लेकर सहयोगी दलों में सहमति नहीं बन पा रही है। मुंबई की विधानसभा सीटों को लेकर भी सहयोगी दलों में मतभेद उजागर हो चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही यह खींचतान और बढ़ सकती है।

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