Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में पूर्व सीएम के दो बेटे कड़े मुकाबले में फंसे, देशमुख कुनबे के लिए प्रतिष्ठा की जंग

Maharashtra Election 2024: दोनों ने विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की और इस बार दोनों फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनावी अखाड़े में उतरे हुए हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-11-19 13:01 IST

Amit Deshmukh and Dheeraj Deshmukh  (photo: social media ) 

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए कल होने वाले मतदान में कई महत्वपूर्ण सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और एक समय महाराष्ट्र की सियासत में काफी असर रखने वाले विलासराव देशमुख के दो बेटे इस बार कड़े मुकाबले में फंसे दिख रहे हैं। विलासराव देशमुख के बाद उनकी विरासत को पहले उनके बड़े बेटे अमित देशमुख ने संभाला। बाद में उनके छोटे बेटे धीरज देशमुख भी सियासी अखाड़े में उतर गए।

दोनों ने विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की और इस बार दोनों फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनावी अखाड़े में उतरे हुए हैं। बड़े बेटे अमित देशमुख के खिलाफ इस बार भाजपा ने देश के पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल की बहू को चुनावी अखाड़े में उतार कर तगड़ी घेरेबंदी कर दी है। दूसरे बेटे धीरज देशमुख को भी भाजपा प्रत्याशी रमेश कराड़ की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। ऐसे में मौजूदा विधानसभा चुनाव देशमुख कुनबे के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है।

पिता की विरासत बेटों ने संभाली

महाराष्ट्र की लातूर विधानसभा सीट को देशमुख कुनबे का गढ़ माना जाता रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने इस सीट पर कई बार जीत हासिल की। अब इस सीट पर पिता की विरासत बेटे अमित देशमुख ने संभाल ली है। लातूर को गन्ना बेल्ट के लिए जाना जाता है और इस इलाके में देशमुख परिवार की कई चीनी मिलें हैं। मराठवाड़ा का अहम हिस्सा होने के कारण मराठा आरक्षण आंदोलन का भी यहां असर दिखता रहा है। लातूर में विधानसभा की छह सीटें हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान यहां पर भाजपा, कांग्रेस और एनसीपी तीनों दलों ने दो-दो सीटों पर जीत हासिल की थी।

अमित के खिलाफ शिवराज पाटिल की बहू भाजपा प्रत्याशी

इस बार के विधानसभा चुनाव में लातूर शहर विधानसभा सीट पर दिलचस्प का मुकाबला हो रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अमित देशमुख ने इस सीट पर तीन बार जीत हासिल की और वे चौथी बार इस सीट पर अपनी ताकत दिखाने के लिए उतरे हैं मगर इस बार उनकी सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। भाजपा की ओर से इस बार अमित देशमुख की तगड़ी घेराबंदी की गई है।

दरअसल भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल चाकुरकर को उतार दिया है। अर्चना के चुनाव मैदान में उतर जाने के कारण इस विधानसभा सीट पर समीकरण उलझ गए हैं। अमित देशमुख को चुनावी जीत दिलाने के लिए उनके फिल्म स्टार भाई रितेश देशमुख को भी उतरना पड़ा है।

इस कारण मुश्किल हुई अमित देशमुख की सियासी राह

बहू के चुनाव लड़ने के कारण शिवराज पाटिल भी ऊहापोह की स्थिति में फंसे हुए दिख रहे हैं। उन्होंने खुले मंच से तो बहू का प्रचार नहीं किया है मगर सियासी हल्कों में फैली चर्चाओं के मुताबिक वे अंदरखाने अपनी बहू की मदद करने में जुटे हुए हैं। अर्चना पाटिल की चुनावी जीत के लिए भाजपा ने भी पूरी ताकत लगा रखी है।

अमित देशमुख के तीन बार चुनाव जीतने के बाद बावजूद क्षेत्र में अपेक्षित विकास न होने के कारण स्थानीय लोगों में इस बार नाराजगी भी दिख रही है। अमित के क्षेत्र में ज्यादा न रहने के कारण भी स्थानीय लोग नाराज बताए जा रहे हैं।

प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी ने भी इस सीट पर पेंच फंसा दिया है। पार्टी के प्रत्याशी विनोद खटके को भी मतदाताओं का अच्छा समर्थन हासिल हो रहा है। इस तरह दलित वोट बैंक में बंटवारे की आशंका ने भी कांग्रेस प्रत्याशी की सियासी राह मुश्किल बना दी है।

धीरज देशमुख भी कड़े मुकाबले में फंसे

लातूर ग्रामीण विधानसभा सीट पर विलासराव देशमुख के दूसरे बेटे धीरज देशमुख भी इस बार कड़े मुकाबले में फंसे हुए दिख रहे हैं। वे विधानसभा चुनाव की जंग में दूसरी बार उतरे हैं। इस सीट पर भाजपा ने रमेश कराड़ को उतार कर धीरज देशमुख के लिए कड़ी चुनौती पेश कर दी है। रमेश कराड़ लगभग 20 वर्षों से स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं। इस इलाके में भाजपा का संगठन भी काफी मजबूत माना जाता है। भाजपा कार्यकर्ता पूरे क्षेत्र में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। रमेश कराड़ को पिछड़ी जातियों के मतदाताओं का भी अच्छा खासा समर्थन हासिल हो रहा है।

इस बार उत्साहित दिख रही है भाजपा

2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का शिवसेना से गठबंधन था और लातूर ग्रामीण सीट पर शिवसेना ने चुनाव लड़ा था। इस कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी दिखी थी और 29 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबा दिया था। इस बार सियासी हालात पूरी तरह बदले हुए हैं।

जिला पंचायत के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद अब भाजपा विधानसभा चुनाव में भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। लातूर जिले की इन दोनों सीटों पर देशमुख कुनबे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है और बीजेपी इन दोनों सीटों पर कुनबे को करारी चोट पहुंचा सकती है।

Tags:    

Similar News