Maharashtra Election 2024: क्या अवैध बंगलादेशी और रोहिंग्या बदल सकते हैं तस्वीर?

Maharashtra Election 2024: मुम्बई के धारावी, गोवंडी, मानखुर्द, माहिम पश्चिम, अंबेडकर नगर जैसे इलाकों में अवैध इमिग्रेंट्स भरे हुए हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-11-13 15:02 IST

अवैध बंगलादेशी और रोहिंग्या    (photo: social media)

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में एक नया फैक्टर सामने आया है। ये है अवैध बांग्लादेशी और अवैध रोहिंगिया का, जिनकी तादाद खासकर मुम्बई में इतनी बढ़ चुकी है कि वो राजनीतिक समीकरणों को बदल सकते हैं। ये एक हैरतंगेज स्थिति है। मुम्बई के धारावी, गोवंडी, मानखुर्द, माहिम पश्चिम, अंबेडकर नगर जैसे इलाकों में अवैध इमिग्रेंट्स भरे हुए हैं।

क्या हुआ है?

दरअसल, कुछ दिन पहले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) ने एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में एक रिसर्च की अंतरिम रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से घुसपैठियों की आमद मुंबई की चुनावी राजनीति को काफी प्रभावित कर रही है।

क्या कहती है रिपोर्ट

- 1965 के बाद से मुंबई में अवैध प्रवासियों, खासकर बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले मुसलमानों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।

- मुंबई के 12 विधानसभा क्षेत्रों में बहुसंख्यक आबादी इमिग्रेंट्स की है, जो मतदान पैटर्न को प्रभावित करती है और "आश्रय राजनीति" की स्थिति को जन्म देती है।

- जनगणना के आंकड़ों में दिखाया गया है कि मुंबई में हिंदू आबादी 1965 में 88 प्रतिशत से घटकर 2011 में 66 प्रतिशत हो गई, जबकि इस दौरान मुस्लिम आबादी 8 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई।

- अनुमान लगाया गया है कि 2051 तक मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत तक पहुँच सकती है, जबकि हिंदू आबादी संभावित रूप से 50 प्रतिशत तक गिर सकती है।

- अवैध सीमा पार प्रवास स्थानीय संसाधनों पर दबाव डालकर और मतदाता मोबिलिटी को बदलकर मुंबई के सामाजिक और राजनीतिक मंजर को नया रूप दे रहा है।

- घुसपैठिये कम स्किल वाले काम धंधे करने लगते हैं जिससे लोकल निवासियों में नाराजगी पैदा होती है, ये चक्र अंततः वोट बैंक में बदल जाता है।

- टिस की रिपोर्ट के अनुसार, 40 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पारिवारिक संबंधों का हवाला देते हुए निरंतर प्रवास का समर्थन किया, 50 प्रतिशत से अधिक प्रवासी महिलाएँ वेश्यावृत्ति में लिप्त हैं, लगभग 40 प्रतिशत प्रवासी नियमित रूप से अपने गृह देशों में लगभग 10,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये प्रति माह तक की बड़ी रकम भेजते हैं।

- अवैध घुसपैठ के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। ऐसी चिंताएँ हैं कि प्रवासियों का एक हिस्सा चरमपंथी समूहों से जुड़ा हुआ है।

- वोट बैंक की राजनीति के चलते अवैध इमिग्रेंट्स को कथित रूप से जाली दस्तावेज़ जारी किए जाते हैं, जिससे वे अवैध रूप से चुनावों में भाग ले सकते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता पर आशंकाएँ पैदा होती हैं।

बवाल भी हो चुका है

- 2022 में मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी चुनाव के पहले महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई मलाड के मालवानी इलाके में बांग्लादेश और म्यांमार से आये के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक समिति गठित की थी। तत्कालीन मुंबई उपनगरीय संरक्षक मंत्री तथा भाजपा नेता मंगल प्रभात लोढ़ा ने एक समिति गठित करने के आदेश जारी किए थे जिसे 90 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया। रिपोर्ट के निष्कर्ष और उस पर कार्रवाई पता नहीं चली है।

- मालवानी में मुम्बई का दुसरा सबसे बड़ा स्लम क्षेत्र है जहाँ की आबादी 5 लाख बताई जाती है। मालवानी में सांप्रदायिक हिंसा की घटनायें भी हुईं हैं। जनवरी 2024 में राम मंदिर उद्घाटन के दौरान, इलाके में एक रैली के बाद इस क्षेत्र में अशांति देखी गई थी। 2023 में इस इलाके में रामनवमी की रैलियों के दौरान हिंसा की घटनाएँ देखी गईं, जब बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने मालवानी के अंबुज वाडी में बजरंग चौक पर राम जानकी मंदिर से जुलूस निकाला था।

- दादर में “बांग्लादेशी - रोहिंग्या” द्वारा जबरन भूमि पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए, मुंबई भाजपा ने जनवरी 2023 में ने दादर में अवैध बांग्लादेशी फेरीवालों को वापस भेजने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था। विरोध प्रदर्शन में ‘बांग्लादेशी, रोहिंग्या हटाओ, दादर बचाओ’ जैसे नारे लगाए गए। शहर भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने दावा किया था कि: “बांग्लादेशी रोहिंग्या जबरन हमारी जमीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं। वे प्रमुख बाजारों में स्टॉल लगा रहे हैं, धरतीपुत्रों को विस्थापित कर रहे हैं।

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