Mandir Masjid Disputes: तेजी से तूल पकड़ रहा मंदिर-मस्जिद मामला, जानिए अबतक किन जगहों के विवाद रहे चर्चा में

Mandir Masjid Case: भारत में मंदिर और मस्जिद को लेकर विवाद बीते कई दशकों से चला आ रहा है। वर्तमान में भी देश में कई जगह मंदिर और मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है।

Written By :  Network
Update:2022-05-24 08:05 IST

Mandir Masjid Disputes (Image Credit : Social Media)

Mandir Masjid Disputes : भारत में बीते मंदिर-मस्जिद विवाद कोई नया वाकया नहीं है तथा पूर्व के भी कई जगह पर समान मामले चर्चा का विषय रहे हैं। फर्क है तो बस संचार के माध्यमों और डिजिटल और सोशल मीडिया (Social Media) के तेजी से विस्तार का। डिजिटल मीडिया की वजह से आज के समय में जितना छोटे-छोटे मुद्दों को तवज्जो मिलती है, शायद पहले किसी बड़े मुद्दे को इतना प्रचार और प्रसार नहीं मिलता था।

वर्तमान में इन मामलों पर हो रही सुनवाई

वर्तमान में जारी वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid), आगरा के ताजमहल (Taj Mahal Row), मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Masjid) और अन्य पर हिन्दू संगठनों द्वारा दायर की गई याचिका और मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा बेहद सुर्खियों में है। आज हम आपको नए और पुराने पुराने ऐसे सभी मुद्दों से रूबरू करवाने जा रहे हैं जहां मस्जिद को तोड़कर मंदिर बनाने और उसका नाम बदलने को लेकर कानूनी याचिका दायर की गई। दावों की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है, इन्हीं दावों की बदौलत अभीतक कई ऐसी जगहों पर विवाद जारी है जिनपर हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षों द्वारा अपना दावा ठोंका जा रहा है।

ज्ञानवापी मस्जिद (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विवाद

अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को 1992 में कई हिन्दू सगंठनों द्वारा मिलकर इस आधार पर तोड़ दिया गया था कि यह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां भगवान राम का ही वास हो सकता है। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मामला न्यायालय में चला गया जहां सुनवाई कर दिसंबर माह 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल का फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनते हुए टिप्पणी करी कि-"हिंदुओं की आस्था और भावनाएं इस स्थान से पहले से ही जुड़ी रही है और भगवान राम का जन्मस्थान वहीं है जहां बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था।" हालांकि, न्यायालय ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मस्जिद के लिए अलग जमीन आवंटित की थी।

बाबरी मस्जिद (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

इसके अलावा वर्तमान में बात करें तो वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद तथा कुतुब मीनार को लेकर दावे किए जा रहे हैं। काशी में न्यायालय के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया गया, जहां हिन्दू पक्ष की मानें तो मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग प्राप्त हुआ है जो मंदिर होने के साक्ष्य को प्रस्तुत करता है, फिलहाल मामला अभी न्यायालय में लंबित है। इसी के साथ मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को भी नष्ट करने के तहत श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की ओर से न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है। दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने करवाया था।

कुतुब मीनार को लेकर भी दावे किए जा रहे हैं। आपको बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने इसे हिंदुओं द्वारा निर्मित कराए जाने को लेकर बेहद ही सनसनीखेज खुलासा किया। इस खुलासे के मद्देनज़र यह बताया गया कि कुतुब मीनार का असल निर्माण राजा विक्रमादित्य ने विशेषकर सूर्य दर्शन के लिए किया था और वह प्रतिदिन यहां जाकर सूर्य भगवान के दर्शन किया करते थे। धर्मवीर शर्मा के इस के इस खुलासे के बाद मामले ने काफी तूल पकड़ा और देखते ही देखते कई हिन्दू संगठनों ने इस ओर अपना समर्थन जारी कर दिया। हिन्दू संगठनों द्वारा इस बाबत कुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तम्भ किए जाने की मांग जारी है।

आगरा में ताजमहल के कमरों की सच्चाई

आगरा स्थित ताजमहल में बंद 22 कमरों को खुलवाने और उसकी सच्चाई सामने लाने को लेकर भी एक शख्स द्वारा न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ता को डांट लगते हुए और उसे इतिहास की सही समझ पैदा करने का कहते हुए याचिका रद्द कर दी थी। इसी के साथ लंबे समय से ताजमहल को लेकर यह विवाद भी जारी है कि यह भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था, जिसका नाम तेजोमहल था और इसे मुग़ल शासक शाह जहां ने अपनी ताकत के दम ओर हथिया कर यहां ताजमहल का निर्माण किया है।

ताजमहल (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

धार्मिक मुद्दों को लेकर लोग अक्सर बेहद संवेदनशील रहते हैं और ऐसे में दावों को सही-गलत की समझ किये बगैर ही कई बार विवाद बेबुनियाद तरीके से खड़ा हो जाता है। हालांकि, भूतकाल में मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने के अधिकतर दावे और मामले न्यायालय में उचित साक्ष्य और सबूतों के आधार पर लंबित हैं।

 लाल किला विवाद 

ऐसा ही एक विवाद दिल्ली स्थित लाल किला को लेकर है, जहां प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा फहराया जाता है। ऐसा प्रचलित है कि लाल किला का निर्माण शाह जहां द्वारा करवाया गया था लेकिन इसके अतिरिक्त कुछ इतिहासकारों का मानना है कि लाल किला का निर्माण शाहजहां के जन्म से भी कई साल पहले महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय द्वारा दिल्ली स्थापित करने के क्रम में शुरुआत के तौर पर कराया गया था। आपको बता दें कि महाराजा अनंगपाल तोमर द्वितीय परम शूरवीर महाराजा पृथ्वीराज चौहान के नाना थे। कई इतिहासकारों का यह मानना है कि शाहजहां ने ताजमहल और लाल किला के साथ एक जैसा सलूक किया और पहले से निर्मित इन जगहों को बाद में अपने निर्माण किए के रूप में प्रस्तुत किया।

 लाल किला (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया) 

इसी क्रम में एक आगरा के किला भी लंबे समय से विवादों के घेरे में है। यह वही आगरा के किला है जहां से तमाम मुग़ल शासकों ने रहते हुए अपने शासन और योजनाओं को अंजाम दिया। कुछ इतिहासकारों द्वारा इस किले का असल नाम बादलगढ़ बताया जाता है, जो कि चौहान वंश के राजाओं का था।

इस किले की लेकर ऐसा माना जाता है कि मुग़ल शासक अकबर ने हिन्दू शैली से बने इस किले को बदलकर इसमें नक्काशियां बनवाकर इसे पूरी तरह बदल दिया। जिसके बाद अन्य मुग़ल शासकों ने इसके रंग, रूप और आकार में अपने अनुसार कई बदलाव किए। आपको बता दें कि आगरा का किला सर्वप्रथम पानीपत युद्ध के बाद मुगलों के आधीन आ गया था।

फिलहाल वर्तमान में सबसे अधिक चर्चा में जारी वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में कथित शिवलिंग की पुष्टि के बाद न्यायालय का क्या फैसला होता है यह देखने वाली बात होगी। इसी के साथ मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद पर सुनवाई को लेकर हाई कोर्ट ने 4 महीने का समय दिया है, जिस दौरान सत्र न्यायालय में मामले से सम्बंधित अभी लंबित मामलों को पूरा करने का आदेश उच्च न्यायलय द्वारा दिया गया है।

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